टकराव पर आमादा चीन, पीछे हटने की बजाय दिखाए तेवर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बीते दस दिनों से लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ को लेकर बना तनाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत की ओर से वापस लौटने को लेकर दी हिदायतों और शांति की कोशिशों को ताक पर रखते हुए चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टेंट जमाए बैठे अपने फौजियों को हटाने की मांग अनसुनी कर दी है। चीन इसे किसी तरह का अतिक्रमण मानने से भी इन्कार कर रहा है। इस बीच नवीनतम घटनाक्रम के तहत चुमार क्षेत्र में दो चीनी हेलीकॉप्टरों ने भारतीय वायुसीमा का भी उल्लंघन किया है।

By Edited By: Publish:Wed, 24 Apr 2013 09:01 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2013 10:27 PM (IST)
टकराव पर आमादा चीन, पीछे हटने की बजाय दिखाए तेवर

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बीते दस दिनों से लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ को लेकर बना तनाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत की ओर से वापस लौटने को लेकर दी हिदायतों और शांति की कोशिशों को ताक पर रखते हुए चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टेंट जमाए बैठे अपने फौजियों को हटाने की मांग अनसुनी कर दी है। चीन इसे किसी तरह का अतिक्रमण मानने से भी इन्कार कर रहा है। इस बीच नवीनतम घटनाक्रम के तहत चुमार क्षेत्र में दो चीनी हेलीकॉप्टरों ने भारतीय वायुसीमा का भी उल्लंघन किया है। इसके बावजूद भारत सरकार फिलहाल बातचीत जारी रखने के संकेत दिए जा रही है। हालांकि बेनतीजा साबित हो रही कोशिशों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ाने के साथ ही विपक्ष को भी हमले का मौका दे दिया है।

मंगलवार को मामले पर नाकाम हुई फ्लैग मीटिंग के बाद बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग का कहना था कि चीनी सैनिक अपने इलाके में गश्त कर रहे हैं। उन्होंने नियंत्रण रेखा नहीं पार की है। हालांकि भारतीय खेमा चीन की इन दलीलों को पहले ही खारिज कर चुका है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा [एलएसी] को लेकर मतभेद हैं, लेकिन हमारा मानना है कि जिस क्षेत्र में चीनी सेना की ताजा गतिविधि दर्ज की गई है, वह भारतीय क्षेत्र है। इसीलिए हम मामले को उठा रहे हैं।

लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में टेंट चौकी बनाकर जमे चीनी सैनिकों के बीच लेह से 300 किमी दूर चूमर क्षेत्र में दो चीनी हेलीकॉप्टरों द्वारा वायुसीमा के भी उल्लंघन की घटना सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक 21 अप्रैल को हुई इस घटना में दो चीनी सैन्य हेलीकॉप्टर भारतीय क्षेत्र में दाखिल हुए और उड़ान के दौरान उन्होंने खाने के डब्बे, सिगरेट पैकेट और स्थानीय भाषा में लिखे कुछ संदेश भी गिराए। गत सितंबर में भी इस तरह की घटना हुई थी जब हेलीकॉप्टर से उतरे चीनी फौजियों ने भारतीय सेना के बनाए कुछ पुराने मोर्चे व टेंट तोड़ दिए थे।

ताजा तनाव का रास्ता निकालने के लिए भारत ने जहां निर्धारित प्रक्रिया के तहत बातचीत पर जोर दिया है। वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने भी कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मामले के समाधान के लिए तय ढांचे के तहत कोशिश करनी चाहिए। ताकि द्विपक्षीय संबंध के लिए बेहतर स्थिति बनाई जा सके। वैसे बीते दस दिनों में चीन ने पहली बार माना है कि इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच बात हो रही है। अगले माह चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग के भारत दौरे से पहले तनाव कम करने की कोशिशों में राजनयिक स्तर पर भी प्रयास हो रहे हैं। हालांकि अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। 18 और 23 अप्रैल को सीमा पर सैन्य अधिकारियों की दो फ्लैग मीटिंग नाकाम होने के बाद भारत ने अभी अगली बैठक नहीं मांगी है।

चीन की जिद ने पहले से मुसीबतों में घिरी सरकार के लिए सियासी परेशानी भी बढ़ा दी है। आसार हैं कि सरकार को गुरुवार को इस मामले पर संसद में भी सवालों का सामना करना पड़ेगा। विपक्ष ने मांग की है कि इस बारे में हो रहे प्रयासों की जानकारी संसद को दी जानी चाहिए।

बॉर्डर का विवाद

- भारत-चीन के बीच 4,057 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) विवादित है।

- दोनों देशों की सेनाओं का इस मामले में भिन्न मत है। एलएसी तीन सेक्टरों में विभाजित है। पश्चिमी भाग में लद्दाख, मध्य भाग उत्तराखंड की सीमा से सटा हुआ और पूर्वी भाग सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटा हुआ है।

- सबसे कम विवादित मध्यवर्ती भाग है। पश्चिमी भाग में घुसपैठ की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं।

अक्साई चिन:

जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पूर्व में स्थित विशाल निर्जन इलाका है। भारत का दावा लेकिन वास्तव में चीन का कब्जा है।

अरुणाचल प्रदेश:

चीन का दावा लेकिन भारत के नियंत्रण में है।

ब्रह्मपुत्र नदी:

चीन यारलुंग सांग्पो [ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम] इस नदी की धारा को मोड़कर अपने शुष्क उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम में जिनजियांग प्रांत तक जल पहुंचाना चाहता है। भारत के भारी विरोध और दबाव के बाद उसने अपनी योजना को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

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कोट्स

'हम दोहराते हैं कि सीमा पर तैनात चीनी सैनिक द्विपक्षीय सहमति के मुताबिक अपने इलाके में गश्त कर रहे हैं।' - हुआ चुनयिंग, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता

'चीन के साथ बातचीत जारी है। सरकार राष्ट्रीय हित एवं देश की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगी।' -एके एंटनी, रक्षा मंत्री

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'सरकार को इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए हर शीर्ष स्तर पर मामले को चीन के साथ उठाना चाहिए।' - राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष

स्वामी ने सरकार से मांगा चीनी घुसपैठ का ब्योरा

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लेह में चीन के सैनिकों द्वारा घुसपैठ की घटना को गंभीर मामला बताते हुए जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र से पिछले तीन साल के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ का ब्योरा देने की मांग की है। उन्होंने एक बयान में कहा कि भारत-चीन संबंधों की स्थिति पर स्वस्थ बहस हो और लद्दाख क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

स्वामी ने कहा, 'मैंने विदेश मंत्रालय से लद्दाख क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की सभी घटनाओं पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग है।' स्वामी के अलावा भाजपा सांसद तरुण विजय ने सांसदों की विशेष बैठक बुलाने और विदेश सचिव द्वारा घुसपैठ की ताजा घटना पर जानकारी देने की मांग की है। उन्होंने भारत-चीन मैत्री संबंधी संसदीय मंच के अध्यक्ष पीसी चाको से मुलाकात की और इस मसले पर तत्काल सांसदों की बैठक बुलाने का आग्रह किया। विदेश मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के अलावा भारत-चीन मैत्री पर संसदीय समूह के सदस्य विजय ने इस सिलसिले में विदेश सचिव रंजन मथाई से भी चर्चा की। उन्होंने विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से इस मुद्दे पर संसद में बयान देने की मांग उठाई है।

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