सिंधिया ट्रस्टों के नाम जमीन करने के मामले में शासन को पक्ष रखने का वक्त, 27 को होगी अगली सुनवाई

मामले में शासन की आपत्तियां सुनने के बाद यदि संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होते हैं तो सभी को अपना-अपना जवाब पेश करना होगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 10:57 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 11:01 PM (IST)
सिंधिया ट्रस्टों के नाम जमीन करने के मामले में शासन को पक्ष रखने का वक्त, 27 को होगी अगली सुनवाई
सिंधिया ट्रस्टों के नाम जमीन करने के मामले में शासन को पक्ष रखने का वक्त, 27 को होगी अगली सुनवाई

ग्वालियर, जेएनएन। सरकारी जमीनों को सिंधिया ट्रस्टों के नाम करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (VC) से आरंभिक सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरषेंद्र कौरव ने पक्ष रखा। कोर्ट ने उन्हें अपनी आपत्तियां लिखित में पेश करने के लिए वक्त दिया है। 27 जुलाई को आगे सुनवाई होगी।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुरषेन्द्र कौरव ने याचिका पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इन्हें इस तरह की याचिका दायर करने का हक नहीं है, इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। महाधिवक्ता की आपत्ति के जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन्हें सरकार की 600 करोड़ की जमीन की रक्षा में खड़ा होना चाहिए, लेकिन ये किसी व्यक्ति विशेष को बचाने में लगे हैं।  कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शासन को लिखित में अपनी आपत्तियां पेश करने का समय दिया है।

सभी को अपना-अपना जवाब पेश करना होगा

मामले में शासन की आपत्तियां सुनने के बाद यदि संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होते हैं तो सभी को अपना-अपना जवाब पेश करना होगा। यह जनहित याचिका ऋषभ भदौरिया ने दायर की है। इसमें दावा किया गया है कि सिटी सेंटर, महलगांव, ओहदपुर, सिरोल के शासकीय सर्वे नंबर की जमीनों को बिना वैधानिक प्रक्रिया अपनाए राजस्व अधिकारियों ने सिंधिया के ट्रस्टों के नाम कर दी है।

कलेक्टर ने इस जमीन को खुर्दबुर्द करने का आपराधिक षड्यंत्र किया है। देश के स्वतंत्र होने के बाद सिंधिया राजघराने व शासन की संपत्तियों का गजट नोटिफिकेशन किया गया था, लेकिन अधिकारियों ने राज्य की संपत्तियों की सुरक्षा नहीं की, उन्हें खुर्दबुर्द किया है। इन संपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट की विशेष अनुमति याचिका (SLP) का हवाला देकर सिंधिया ट्रस्ट के नाम किया गया है। जो संपत्तियां सिंधिया ट्रस्ट के नाम की गई हैं, वह पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग व अन्य शासकीय विभागों के नाम दर्ज थीं।

अधिकारियों के खिलाफ की जाए कार्रवाई

वकील ने तर्क दिया कि खसरों में जो अमल किया गया है, उसे निरस्त किया जाए। साथ ही इस षड्यंत्र में जितने भी अधिकारी शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता ने इन्हें बनाया है पक्षकार - प्रमुख सचिव आयुक्त लैंड रिकॉर्ड मोतीमहल, संभागायुक्त, ग्वालियर कलेक्टर, महेन्द्र प्रताप सिंह सचिव कमलाराजा चैरिटेबल ट्रस्ट, ज्योतिरादित्य सिंधिया अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया चैरिटेबल ट्रस्ट, अनुराग चौधरी तत्कालीन कलेक्टर व अतिरिक्त आयुक्त लैंड रिकॉर्ड मोतीमहल को प्रतिवादी बनाया गया है।

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