पाकिस्‍तानी सेना ने की थी भारत को कमजोर समझने की भूल

आज भारत और पाकिस्‍तान के बीच 1965 में हुए युद्ध को 50 वर्ष पूरे हो गए। युद्ध के 50 साल पूरे होने पर गोल्डन जुबली मनाई जा रही है जिसका जश्न आज से 22 सितंबर तक चलेगा। यह युद्ध कई मायनों में न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्‍तान के लिए भी

By Manoj YadavEdited By: Publish:Thu, 27 Aug 2015 04:43 PM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2015 12:40 PM (IST)
पाकिस्‍तानी सेना ने की थी भारत को कमजोर समझने की भूल

मल्टीमीडिया डेस्क। आज भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध को 50 वर्ष पूरे हो गए। युद्ध के 50 साल पूरे होने पर गोल्डन जुबली मनाई जा रही है जिसका जश्न आज से 22 सितंबर तक चलेगा।

यह युद्ध कई मायनों में न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान के लिए भी महत्वपूर्ण था। पाकिस्तान को यह बात समझ में आ गई थी कि अगर उसने कश्मीर पर कब्जे का दुस्साहस किया तो भारतीय सेना उसे मुंहतोड़ और करारा जवाब देगी।

आपको बता दें कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तान की मदद अमेरिका ने की थी। लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जो सबक सिखाया उसे वह आज तक नहीं भूला है। इसके बाद हमारे पड़ोसी देश ने कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया था।

पाकिस्तान का सपना कश्मीर

पाकिस्तान पिछले 50 वर्षों से कश्मीर को हासिल करने का सपना देख रहा है। लेकिन अब तक वह अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाया है। आइए जानते हैं कि आखिरी 1965 के इस युद्ध की शुरुआत क्यों हुई थी:

1965 के युद्ध के पीछे भी पाकिस्तान की प्रमुख मंशा कश्मीर पर कब्जा करना थी। गुजरात में कच्छ सीमा विवाद पर ब्रिटेन के हस्तक्षेप के बाद पाकिस्तान को यह सपना काफी आसान लगने लगा था। उस समय पाकिस्तान में सेना ने सरकार का तख्ता पलट कर दिया था और जनरल अयूब खान ने स्वयं को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था।

अयूब के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के हौंसले बढ़ गए और उन्होंने कश्मीर पर कब्जे की नीयत से भारतीय सीमा पर हमला कर दिया था। उस समय तनाव की स्थिति को सोवियत यूनियन और अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद सुलझाया जा सका था।

ताशकंद समझौते के बाद दोनों के बीच युद्धविराम कायम हुआ था। विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान इससे खुश नहीं था। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश पाकिस्तान के सरपरस्त थे और पाक ने उनकी सहानुभूति का फायदा भी उठाया।

वर्ष 1962 में चीन के साथ युद्ध की वजह से भारत की स्थिति कुछ कमजोर दिख रही थी। पाकिस्तान इस बात पर यकीन करता था कि कश्मीर की जनता भारतीय शासन के खिलाफ है। ऐसे में वह कश्मीर में आजादी के नाम पर आंदोलन शुरू करना चाहता था। इसके लिए कश्मीर में 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' की शुरुआत की गई थी।

लेकिन कश्मीर की जनता ने उस समय भी वहां पर मौजूद घुसपैठियों के बारे में जानकारी दी थी। इसके आधार पर सेना ने कार्रवाई शुरू की और युद्ध की शुरुआत हुई। भारतीय सेना ने इस युद्ध पर विजय पाकर इस ऑपरेशन को खत्म किया।

[साभार- नई दुनिया]

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