एक दूसरे को जागरूक करके भी कम कर सकते हैं जलवायु परिवर्तन का खतरा, शोध में आया सामने

वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन के बारे में जो लोग जागरूक है और वो कोई काम कर रहे हैं वो एक दूसरे को जागरूक करके मदद कर सकते हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Tue, 11 Jun 2019 01:41 PM (IST) Updated:Tue, 11 Jun 2019 01:41 PM (IST)
एक दूसरे को जागरूक करके भी कम कर सकते हैं जलवायु परिवर्तन का खतरा, शोध में आया सामने
एक दूसरे को जागरूक करके भी कम कर सकते हैं जलवायु परिवर्तन का खतरा, शोध में आया सामने

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत सहित तमाम देशों के वैज्ञानिक इसके खतरे से निपटने के लिए काम कर रहे हैं। कदम भी उठाए जा रहे हैं। अब इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक और तरीका इजाद किया है। इसके तहत यदि लोग आपस में जलवायु परिवर्तन को लेकर बातचीत करते रहे तो भी वो उसको बचाने में सहयोग कर सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन के बारे में जो लोग जागरूक है और वो कोई काम कर रहे हैं, ऐसे लोग अपने दोस्तों से बातचीत करके भी इससे होने वाले नुकसान को कम करने में सहयोग कर सकते हैं। इसके लिए हमें पृथ्वी के अनुकूल भोजन ग्रहण करने के साथ ही जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से बचना होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक-दूसरे से बातचीत कर हम लोगों को जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में आगाह कर सामूहिक रूप पृथ्वी संरक्षण की दिशा में काम कर सकते हैं।

कनाडा की गुल्फ और वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नया गणितीय मॉडल विकसित किया है। जिसमें यह अनुमान लगाया गया है कि लोगों को सामाजिक सीख देकर भी जलवायु परिवर्तन के खतरों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

पीएलओएस कंप्यूटेशन बायोलोजी में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि सामाजिक प्रक्रिया से भी जलवायु परिवर्तन के संबंध में की जाने वाली भविष्यवाणियों को बदला जा सकता है। इस शोध के निष्कर्ष ग्लोबल वॉर्मिग के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। गुल्फ यूनिवर्सिटी की मधुर आनंद ने कहा कि मानवीय व्यवहार का प्रभाव जलवायु के साथ-साथ प्राकृतिक तंत्र पर भी पड़ता है और जलवायु प्रभावित होने पर यह हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाती है। इसीलिए बातचीत कर भी जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम किया जा सकता है।

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