Telangana: तेलंगाना में इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने 5 हजार रुपये देती है सरकार, जानें कब शुरू हुई यह योजना

तेलंगाना की सरकार मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने 5000 रूपए का मानदेय दे रही है।यह मानदेय राशि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 में देने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद सभी राज्य इस आदेश के अनुसार इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने यह राशि प्रदान करती है।

By Babli KumariEdited By: Publish:Sat, 28 May 2022 10:27 AM (IST) Updated:Sat, 28 May 2022 11:21 AM (IST)
Telangana: तेलंगाना में इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने 5 हजार रुपये देती है सरकार, जानें कब शुरू हुई यह योजना
मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने 5,000 रूपए का मानदेय

हैदराबाद, एएनआइ।  तेलंगाना सरकार राज्य के इमामों और मुअज्जिनों के लिए हर महीने 5,000 रुपये मानदेय के रूप में देती है, इस सरकारी योजना से हजारों इमाम और मुअज्जिन लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना से राज्य के हजारों इमामों और मुअज्जिनों को हर महीने फायदा हो रहा है। तेलंगाना वफ़क बोर्ड के माध्यम से राज्य की सभी मस्जिदों में यह राशि वितरित की जाएगी। मालूम हो कि यह योजना कोई नई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश पर वर्षों से यह मानदेय दिया जा रहा है।

एएनआई से बात करते हुए, हफीज मोहम्मद अब्दुल्ला, एक इमाम ने कहा, 'मैं पिछले 8 से 10 वर्षों से जामा मस्जिद, मोहम्मद लेन में इमाम हूं, मैं केसीआर सर को 5,000 रुपये का मासिक वेतन देने के लिए धन्यवाद देता हूं, आशा है कि यह लंबे समय तक जारी रहेगा।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं ओवैसी सर और स्थानीय विधायक को भी धन्यवाद देता हूं। आप हमें जो ये राशि दे रहे हैं, जो आर्थिक मदद सरकार द्वारा दी जा रही है, यह एक अनोखी पहल है। किसी भी सरकार ने इस तरह से हमारी मदद नहीं की, लेकिन केसीआर सर कर रहे हैं। मैं अल्लाह से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें अच्छी सेहत दे।'

एक अन्य इमाम, मोहम्मद सलाउद्दीन आजम ने कहा, 'पिछले 40 वर्षों से, वह यहां एक इमाम के रूप में काम कर रहा है। मैं केसीआर सर को धन्यवाद देता हूं कि हमें हर महीने 5,000 रुपये का वेतन दिया जाता है, हमें यह सिर्फ केसीआर सर की वजह से मिल रहा है, मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान उन्हें अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दें।

आपको बता दें कि बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 1993 में सरकारी सहायता प्राप्त सभी मस्जिदों के इमामों को सैलरी देने का निर्देश दिया था। और सभी गैर सरकारी सहायता प्राप्त मस्जिदों के मामले में कोर्ट ने सभी को मानदेय देने को भी कहा था।

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