ईवीएम नहीं खामी को खत्म करने की उठी मांग

सभी दलों ने ईवीएम में हेर-फेर की जताई जा रही आशंका को खत्म करने के लिए इसमें वोटर वेरीफायड पेपर आडिट ट्रेल मशीन लगाने की एक सुर से मांग की।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Wed, 22 Mar 2017 09:08 PM (IST) Updated:Wed, 22 Mar 2017 10:49 PM (IST)
ईवीएम नहीं खामी को खत्म करने की उठी मांग
ईवीएम नहीं खामी को खत्म करने की उठी मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव के लिए इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की व्यवस्था खत्म करने की बसपा की मांग को संसद में राजनीतिक दलों का समर्थन नहीं मिला। मगर सभी दलों ने ईवीएम में हेर-फेर की जताई जा रही आशंका को खत्म करने के लिए इसमें वोटर वेरीफायड पेपर आडिट ट्रेल मशीन लगाने की एक सुर से मांग की। विपक्षी दलों ने कहा कि वीवीपीएटी की व्यवस्था लागू कर ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका को समाप्त किया जा सकता है।

उनका कहना था कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अगले चुनाव में इस व्यवस्था को लागू किया जाए अन्यथा बैलेट बॉक्स में मतपत्र डालने के पुराने तरीके से इन दोनों राज्यों के चुनाव होने चाहिए। विपक्षी दलों का कहना था कि वीवीपीएटी मशीन से ईवीएम का बटन दबाने के बाद मिलने वाली प्राप्ति रसीद से मतदाता को यह मालूम चल सकेगा कि उसने जिस पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में बटन दबाया है उसका वोट उसे ही मिला है। राज्यसभा में चुनाव सुधार पर अल्पकालिक चर्चा के बहाने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में ईवीएम में कथित हेर-फेर के मामले पर बहस के दौरान राजनीतिक दलों ने यह राय जाहिर की।

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राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उत्तरप्रदेश में मायावती के ईवीएम पर सवाल उठाने से पहले असम में तरुण गोगोई ने भी हेर-फेर की आशंका जताई थी। उन्होंने कहा कि इस पर शक किया जा रहा है तो फिर इसका समाधान निकालना चाहिए और वीवीपीएटी को तत्काल ईवीएम से जोड़ा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में अक्टूबर 2013 में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर इसके लिए आदेश जारी किया था। इसको लगाने में 3100 करोड़ रुपए के अनुमानित खर्च के लिए चुनाव आयोग पिछले तीन साल में करीब 12 पत्र सरकार को लिख चुका है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त का प्रधानमंत्री को विशेष हालत में दखल के लिए लिखा गया पत्र भी शामिल है। आजाद ने कहा कि तीन साल में सरकार ने इसके लिए रकम नहीं दी है तो ईवीएम को लेकर जताई जा रही आशंका गहरा जाती है।

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भाजपा के भूपेंद्र यादव ने ईवीएम पर उठाए गए सवालों को तवज्जो न देते हुए चुनाव सुधार के लिए राजनीतिक दलों से पहल करने को कहा। उन्होंने लोकसभा व विधानसभा के चुनाव साथ कराने की पैरोकारी की ताकि विकास के काम आचार संहिता से न रुकें। साथ ही राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र की पुरजोर वकालत की तो टेबल के नीचे से पार्टियों के पास पैसा आने पर रोक की बात कही। हर मतदाता को एक स्थायी वोटर नंबर जारी करने का सुझाव भी दिया जिसे वह दूसरी जगह जाए तो वह इस वोटर नंबर को ट्रांसफर करा सके।

तृणमूल कांग्रेस के मुकुल राय की ओर से शुरू की गई बहस में हिस्सा लेते हुए सपा के रामगोपाल यादव और माकपा के सीताराम येचुरी ने एक साथ चुनाव के सुझाव को ठुकरा दिया। रामगोपाल ने चुटकी लेते हुए कहा कि 2019 के आम चुनाव के साथ उत्तरप्रदेश का चुनाव आप कराएंगे तो मुख्यमंत्री योगी ऐसी मांग करने वालों को खदेड़ देंगे। उनका कहना था कि राजनीतिक पार्टियों के खर्चे को उम्मीदवारों के खर्च में शामिल किए बिना चुनाव में पैसे के खेल पर रोक नहीं लग पाएगी।

उन्होंने भी ईवीएम का दुरुपयोग रोकने के लिए वीवीपीएटी की वकालत की। येचुरी ने कहा कि एक साथ राज्यों और केन्द्र के चुनाव कराने की पैरोकारी पिछले दरवाजे से देश को राष्ट्रपति प्रणाली की ओर ले जाना की सोची-समझी रणनीति है। उनका कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 356 को खत्म किए बिना एक साथ चुनाव की बात बेमानी है। इसलिए सरकार बताए कि वह इस अनुच्छेद को हटाने को तैयार है क्या? चुनाव में धन बल के दुरुपयोग को रोकने के जदयू नेता शरद यादव की राय का समर्थन करते हुए येचुरी ने कहा कि राजनीतिक दलों के खर्च की सीमा तय हो।

पार्टियों के कारपोरेट चंदे पर पाबंदी लगे और सरकारी खर्चे पर चुनाव लड़ने की सिफारिशों को लागू किया जाए। शरद यादव ने छोटी पार्टियों और संसाधन की कमी वाले नेताओं की आवाज जनता तक नहीं पहुंच पाने के लिए मीडिया में सुधार की बात कही। अधिकांश विपक्षी दलों ने यादव की राय का समर्थन किया। ईवीएम के मुद्दे को गरमाने वाली पार्टी बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्र ने भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हाराव की ईवीएम में हेर-फेर पर लिखी गई किताब का हवाला देते हुए साफ कहा कि उत्तरप्रदेश के चुनाव में भाजपा ने ईवीएम के सहारे धांधली की है।

इस पुस्तक की प्रस्तावना भाजपा दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी ने लिखी है। उनका कहना था कि गोवा में वीवीपीएटी मशीन लगी तो भाजपा हार गई। उन्होंने उत्तरप्रदेश के चुनाव की मान्यता रद्द करने तक की मांग उठाई।

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