मोदी की रैली में ब्लास्ट को दिए थे 7 लाख

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर रेलवे स्टेशन के बाहर से गिरफ्तार किए गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आइटी एक्सपर्ट एजाज शेख से पूछताछ में कई अहम खुलासे होने शुरू हो गए हैं। एजाज ने खुलासा किया है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में पटना के गांधी मैदान में ब्लास्ट करने वाला आइएम आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू को उसने विस्फोटक खरीदने, ब्लास्ट की साजिश रचने व अन्य खर्चे के लिए सात लाख लाख रुपये दिए थे। यह रकम उसने ब्लास्ट से दो हफ्ते पूर्व दिए थे।

By Edited By: Publish:Tue, 09 Sep 2014 08:12 AM (IST) Updated:Tue, 09 Sep 2014 08:14 AM (IST)
मोदी की रैली में ब्लास्ट को दिए थे 7 लाख

नई दिल्ली [जासं]। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर रेलवे स्टेशन के बाहर से गिरफ्तार किए गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आइटी एक्सपर्ट एजाज शेख से पूछताछ में कई अहम खुलासे होने शुरू हो गए हैं। एजाज ने खुलासा किया है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में पटना के गांधी मैदान में ब्लास्ट करने वाला आइएम आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू को उसने विस्फोटक खरीदने, ब्लास्ट की साजिश रचने व अन्य खर्चे के लिए सात लाख लाख रुपये दिए थे। यह रकम उसने ब्लास्ट से दो हफ्ते पूर्व दिए थे। यह रकम हवाला की थी जो एजाज ने वेस्टर्न यूनियन के जरिए प्राप्त की थी। तहसीन पटना ब्लास्ट का मास्टर माइंड है। उसने अपनी सूची में सबसे टॉप पर नरेंद्र मोदी को रखा हुआ था।

पुलिस कमिश्नर [स्पेशल सेल] एसएन श्रीवास्तव के मुताबिक एजाज के पास से बरामद इलेक्ट्रानिक डिवाइस, पेन ड्राइव व अन्य दस्तावेजों से सेल को आइएम के नेटवर्क के बारे में काफी जानकारी मिल रही है। पीडीएफ फाइल में कई भड़काऊ भाषण लिखे हुए मिले हैं। साथ ही कुछ ईमेल भी मिले हैं जो रियाज व मोहसिन चौधरी द्वारा ड्राफ्ट किए हुए हैं। माना जा रहा है कि एजाज के जरिए आइएम आने वाले त्योहार के समय कोई बड़ा धमाका कराना चाह रहा था जिससे संबंधित ईमेल अभी ही एजाज को दिया गया था। यह ईमेल धमाके के बाद मीडिया को जारी होना था।

सेल के सूत्रों का कहना है कि एजाज से आमना-सामना कराने के लिए सेल तिहाड़ जेल में बंद यासीन भटकल को रिमांड पर ले सकती है। यासीन को पिछले साल एनआइए ने नेपाल बार्डर से गिरफ्तार किया था और उससे सेल व मुंबई एटीएस ने विस्तार से पूछताछ की थी। तफ्तीश में उससे यह जानने की कोशिश की गई थी कि सात दिसंबर 2010 को पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट व 19 सितंबर 2010 को जामा मस्जिद के बाहर ताइवानी नागरिकों पर गोलियां चलाने व वाराणसी में सीरियल धमाका कराने के बाद मीडिया को किसने ईमेल जारी किया था। यासीन ने एजाज के नाम का खुलासा नहीं किया था। उसी तरह तहसीन अख्तर ने भी एजाज के नाम का खुलासा नहीं किया था, जबकि ये दोनों समेत आइएम के गिरफ्तार हो चुके कई आतंकी उसे जानते हैं। सेल व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां एजाज से पूछताछ कर इस राज का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर उसके नाम का किसी ने खुलासा क्यों नहीं किया था। कहीं सभी को पाकिस्तान में बैठे आका रियाज भटकल व मोहसिन चौधरी से यह हुक्म तो नहीं था। 2008 से पूर्व मीडिया को ईमेल जारी करने वाले पीर भ्वाय के पकड़े जाने से ही आइएम के नेटवर्क का पता लग गया था। इसलिए रियाज अब यह कतई नहीं चाह रहा था कि उसका कोई भी सदस्य एजाज के बारे में खुलासा करे।

सेल व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां पिछले चार साल से एजाज के पीछे लगी थी। लेकिन वह इतनी गोपनीय तरीके से छिपता फिर रहा कि किसी को उसके बारे में भनक नहीं लग रही थी। सेल का कहना है कि हो सकता है कि तहसीन अख्तर को भी रिमांड पर लेकर एजाज से आमना-सामना कराया जा सके। सेल एजाज को उन सभी जगहों पर लेकर जाएगी, जहां-जहां जाने के लिए रियाज ने उसे हुक्म दिया था।

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