सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'निजता मौलिक अधिकार' संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्‍सा

सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व फैसलों में आठ न्यायाधीशों और छह न्यायाधीशों की पीठ कह चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 24 Aug 2017 08:25 AM (IST) Updated:Thu, 24 Aug 2017 04:35 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'निजता मौलिक अधिकार' संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्‍सा
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 'निजता मौलिक अधिकार' संविधान के आर्टिकल 21 का हिस्‍सा

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया है। नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मती से निजता के अधिकार पर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि निजता एक मौलिक अधिकार है। निजता राइट टू लाइफ का हिस्‍सा है। निजता के हनन करने वाले कानून गलत हैं। कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह संविधान के आर्टिकल 21 (जीने के अधिकार) के तहत आता है। मामले में बहस के बाद कोर्ट ने गत दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब पांच न्यायाधीशों की पीठ आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

यूं शुरू हुई निजता के अधिकार पर बहस
निजता के अधिकार पर बहस इसलिए शुरू हुई, क्योंकि आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की दलील है कि बायोमीट्रिक डाटा और सूचनाएं एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व फैसलों में आठ न्यायाधीशों और छह न्यायाधीशों की पीठ कह चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। ऐसे में भारत सरकार और याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार का मुद्दा बड़ी पीठ के द्वारा सुने जाने की अपील की थी। इस पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित हुई। पीठ के अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर हैं। उनके अलावा पीठ में जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एएम सप्रे और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

यह भी पढ़ेंः निजता के अधिकार पर SC के फैसले को कांग्रेस ने बताया आजादी की बड़ी जीत

विरोध में सरकार की दलीलें
-ये सन्निहित अधिकार है, लेकिन ये कॉमन लॉ में आता है।
-निजता हर मामले की परिस्थितियों पर तय होती है।
-संविधान निर्माताओं ने जानबूझकर इसे मौलिक अधिकारों में शामिल नहीं किया था।
-कोर्ट मौलिक अधिकार घोषित करता है, तो यह संविधान संशोधन होगा जिसका कोर्ट को अधिकार नहीं है।
-आंकड़े एकत्रित करना निजता के तहत नहीं आता।
-निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया, तो तकनीक का सहारा लेकर गुड गर्वनेंस के प्रयास रुक जाएंगे।

यह भी पढ़ेंः अब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने पर होगी SC में सुनवाई

समर्थन में याचिकाकर्ताओं की दलीलें
-निजता सम्मान से जीवन जीने के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।
-मुख्य अधिकार मौलिक अधिकार है, तो उसका हिस्सा भी माना जाएगा।
-कोर्ट कई फैसलों में निजता के अधिकार को मान्यता दे चुका है।
-निजता को स्वतंत्रता व जीवन के अधिकार से अलग करके नहीं देख सकते।
-अमेरिका और अन्य देशों में निजता को मौलिक अधिकार माना गया है।

यह भी पढ़ें: विधिक शिविर में दी गई मौलिक अधिकार की जानकारी

chat bot
आपका साथी