अब आधार कार्ड को विभिन्न योजनाओं से जोड़ने पर होगी SC में सुनवाई
इसी के अगले कदम के तहत अब बेंच यह फैसला करेगी कि आधार कार्ड के विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए या नहीं। आधार कार्ड के संबंध में मामला 5 जजों की आधार बेंच के पास भेजा है।
नई दिल्ली, (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार पर गुरुवार को बेहद अहम फैसला दिया और उसे मौलिक अधिकारों का हिस्सा घोषित कर दिया। इसी के अगले कदम के तहत अब बेंच यह फैसला करेगी कि आधार कार्ड के विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए या नहीं। आधार कार्ड के संबंध में मामला 5 जजों की आधार बेंच के पास भेजा है।
आधार कार्ड के तहत दी जाने वाली निजी सूचनाओं पर असर पड़ सकता है। हालांकि, आधार के मामले पर पांच जजों की बेंच अलग से फैसला करेगी। बेंच देखेगी कि आधार में लिया गया डेटा कहीं निजता के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार जैसा मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी मौलिक अधिकार संपूर्ण अधिकार नहीं होता, इसलिए निजता का अधिकार भी संपूर्ण नहीं हो सकता।
सरकार के लिए झटका
सरकार के लिए यह झटका है, क्योंकि आधार को लेकर सरकार ने निजता के अधिकार की बात को खारिज किया था। सरकार को अब यह दिखाना होगा कि वह निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर रही है। सरकार को अब साबित करना होगा कि उसके द्वारा ली गई जानकारी तर्कपूर्ण रोक के दायरे में है। निजता का अधिकार अभी तक मौलिक नहीं था, इसलिए सरकार के अधिकार असीमित थे।
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अब अापके पास होगा ये अधिकार
इसका पहला असर तो यही है कि आपकी निजी जानकारी बिना सहमति सार्वजनिक नहीं हो सकेगी। यानी आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड आदि में दर्ज जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी। निजता का हनन होने के बाद अब कोर्ट जाने का अधिकार होगा।
केंद्र सरकार ने क्या दी थी दलील
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार के सामने गौण महत्व रखता है। अगर इस मामले में कोई भी टकराव होता है तो जीवन का अधिकार ही ऊपर रहेगा। निजता को जीवन जीने का अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार के साथ जोड़कर नहीं देखा जा सकता। निजता को मूल अधिकार कहा जा सकता है लेकिन यह पूरी तरह से अनियंत्रित नहीं है बल्कि शर्तों के साथ होगा। ऐसे में निजता के अधिकार को पूरी तरह से मौलिक अधिकार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
वेणुगोपाल ने कहा कि आधार को कई सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है और ये योजनाएं जीवन के अधिकार से जुड़ी हुई हैं। ये उन 27 करोड़ लोगों के जीवन जुड़ी योजनाएं हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि क्या कोई ये कह सकता है कि उसके निजता के अधिकार को संरक्षित किया जाए चाहे जीवन के दूसरे अधिकार मसलन-भोजन आदि प्रभावित हो। क्या दूसरे के भोजन, आवास और रोजगार जैसे जीवन के अधिकार से ज्यादा महत्वपूर्ण निजता का अधिकार है? जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार भी अपने आप में संपूर्ण नहीं है। अगर स्वतंत्रता का अधिकार और जीवन के अधिकार के बीच टकराव हुआ तो जीवन का अधिकार ऊपर होगा क्योकि जीवन के बिना स्वतंत्रता नहीं है।
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