SC में CAA के नियमों को चुनौती देने वाली नई याचिका दाखिल, केंद्र और असम सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) नियम 2024 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार से जवाब तलब किया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता गुवाहाटी निवासी हिरेन गोहेन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील की दलीलों को गौर से सुना और फिर राज्य सरकार और केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालयों को नोटिस जारी किया।

By AgencyEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2024 04:55 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 04:55 PM (IST)
SC में CAA के नियमों को चुनौती देने वाली नई याचिका दाखिल, केंद्र और असम सरकार से मांगा जवाब
CAA के नियमों को चुनौती देने वाली नई याचिका दाखिल

HighLights

  • पीठ ने गौर से सुनी याचिकाकर्ता वकील की दलीलें
  • कोर्ट ने असम सरकार और केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालयों को जारी किया नोटिस

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार से जवाब तलब किया। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता गुवाहाटी निवासी हिरेन गोहेन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील की दलीलों को गौर से सुना और फिर राज्य सरकार और केंद्रीय गृह और विदेश मंत्रालयों को नोटिस जारी किया।

याचिका में क्या कुछ कहा गया?

कोर्ट ने साथ ही यह आदेश दिया कि नई याचिका को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं के साथ टैग किया जाए। याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों के अनियंत्रित संख्या में आने से राज्य में भारी जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ। मूलनिवासी, जो कभी बहुसंख्यक हुआ करते थे, अब अपनी ही भूमि पर अल्पसंख्यक हो गए हैं।

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हाल ही में पीठ ने सीएए नियमों के संचालन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र से उन आवेदनों पर जवाब देने को कहा, जिनमें कोर्ट की ओर से सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा होने तक उनके कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

'यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं'

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि सीएए नियम, 2024 'संविधान का उल्लंघन करते'’ हैं, क्योंकि वे स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण, एकतरफा, अवैध और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ हैं। याचिका में बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों के 'अनियंत्रित' संख्या में आने का मुद्दा उठाते हुए कहा गया है कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है।

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