उच्‍च न्‍यायालयों में जजों की नियुक्ति में असामान्य देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, जानें क्‍या कहा

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में केंद्र के रुख पर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि छह महीने पहले की गई सिफारिशों पर कोई निर्णय न लेना चिंताजनक है। सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा होनी चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 09:03 PM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 09:03 PM (IST)
उच्‍च न्‍यायालयों में जजों की नियुक्ति में असामान्य देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, जानें क्‍या कहा
हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार के रुख पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार के रुख पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कहा है कि छह महीने पहले की गई सिफारिशों पर कोई निर्णय न लेना चिंताजनक है। शीर्ष न्यायालय ने जोर देकर कहा कि कोलेजियम की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा का निर्धारण होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, सिफारिश किए गए कुछ नामों का करीब एक साल से निर्णय के इंतजार में लंबित रहना चिंता में डालने वाला उदाहरण है।

कोलेजियम की सिफारिशों पर निर्णयों का ब्‍यौरा हो

पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से एक चार्ट बनाकर प्रस्तुत करने के लिए कहा जिसमें कोलेजियम की सिफारिशों और उन पर केंद्र सरकार के निर्णयों का ब्योरा हो। इस चार्ट में देश के विभिन्न हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के खाली पदों का उल्लेख भी होना चाहिए।

जताई नाराजगी

पीठ ने कहा, विभिन्न हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों के लिए 45 नामों की सिफारिशें भेजीं लेकिन ये नाम अभी तक सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम को प्राप्त नहीं हुए। इनके अतिरिक्त न्यायाधीश पद के लिए दस नामों की कोलेजियम ने सिफारिश की लेकिन इनमें से किसी की भी नियुक्ति नहीं हो पाई।

केंद्र को निर्देश

इस प्रकार से हाईकोर्ट न्यायाधीशों के कुल 55 पद नियुक्ति की प्रक्रिया में फंसे हुए हैं। इस तरह की समयविहीन प्रक्रिया नहीं बनी रहनी चाहिए। पीठ ने कहा, केंद्र पहले 45 नाम कोलेजियम के विचारार्थ भेजे, साथ ही कोलेजियम की पूर्व में सिफारिश वाले दस नामों पर निर्णय लेकर उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी करे।

सिफारिश वाले नाम छह महीने तक ना हों पेंडिंग

पीठ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की ओर से सिफारिश वाले नाम छह महीने तक कानून मंत्रालय में नहीं फंसे रहने चाहिए। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को निश्चित की है। पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि देश में 24 हाईकोर्ट के लिए न्यायाधीशों की निर्धारित संख्या 1080 की है। इनमें से 419 पद रिक्त हैं।

जजों की हो सकती है अस्थायी नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी को देखते हुए वह अस्थायी नियुक्तियों के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकता है। इससे लंबित मुकदमों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी। जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, देश के न्यायालयों में आठ से दस साल में भी मुकदमों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। इसके लिए न्यायालयों में न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या न होना भी एक बड़ा कारण है। इस कारण को दूर करने के लिए शीर्ष न्यायालय अस्थायी नियुक्तियों की व्यवस्था बना सकती है। यह व्यवस्था कोलेजियम की सिफारिश पर ही बनेगी। 

chat bot
आपका साथी