अयोध्या में खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को संरक्षित रखने की मांग को सु्प्रीम कोर्ट ने किया खारिज, जानें क्‍या कहा

सु्प्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले में अनुच्छेद 32 के तहत (जनहित) याचिका क्यों दाखिल की।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 20 Jul 2020 09:45 PM (IST) Updated:Mon, 20 Jul 2020 09:45 PM (IST)
अयोध्या में खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को संरक्षित रखने की मांग को सु्प्रीम कोर्ट ने किया खारिज, जानें क्‍या कहा
अयोध्या में खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को संरक्षित रखने की मांग को सु्प्रीम कोर्ट ने किया खारिज, जानें क्‍या कहा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों को संरक्षित रखने का आदेश मांगने वाली याचिका जुर्माने सहित खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि पांच न्यायाधीशों की पीठ पहले ही अयोध्या मामले में फैसला दे चुकी है, फिर ऐसी याचिकाएं दाखिल करने का क्या औचित्य है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर एक एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और जुर्माने की रकम एक महीने के भीतर अदा करने का भी आदेश दिया। ये आदेश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिये। 

सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने के साथ खारिज की याचिकाएं

मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने अयोध्या राम जन्मभूमि में खुदाई से निकली कलाकृतियों को संरक्षित करने की मांग करते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी इस बात से सहमत है कि वहां पर बहुत सी कलाकृतियां हैं जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट दलीलों से सहमत नहीं हुआ। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले में अनुच्छेद 32 के तहत (जनहित) याचिका क्यों दाखिल की। इस याचिका के जरिये वे क्या कहना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि उन्हें इस तरह की बेकार की याचिकाएं नहीं दाखिल करनी चाहिए। पांच जजों की पीठ राम जन्मभूमि मामले में फैसला दे चुकी है। इस याचिका के जरिये वे उस फैसले की अनदेखी करना चाहते हैं। 

इसे लेकर दाखिल की गईं कई याचिकाएं 

क्या कहना चाह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने जो फैसला दिया है उस पर कोई अमल नहीं कर रहा। कोर्ट ने याचिका पर गहरी नाराजगी जताते हुए खारिज कर दी। तभी सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना भी लगाना चाहिए। तब कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं पर एक- एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और एक महीने के भीतर जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।

महाराष्ट्र के रहने वाले सतीश सी. संभारकर और तीन अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि मई 2020 में मंदिर निर्माण के लिए की गई नींव खुदाई में प्राप्त कलाकृतियों को संरक्षित किया जाए और पुरातत्व विभाग को उन कलाकृतियों की जांच करने का आदेश दिया जाए। साथ ही राम जन्मभूमि स्थल पर जमीन के समतलीकरण आदि के बारे में भी आदेश मांगे थे। एक गैर सरकारी संगठन ने भी इस संबंध में अलग से एक याचिका दाखिल की थी।

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