न चाहते हुए भी पति-पत्नी को साथ रहने को मजबूर करता है हमारा कानून, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

वैवाहिक संवैधिनक अधिकारो पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून मंत्रालय को नोटिस भेज कर जोड़ो को डिक्री के माध्यम से साथ रहने पर जोर दिया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 15 Mar 2019 12:46 PM (IST) Updated:Fri, 15 Mar 2019 01:23 PM (IST)
न चाहते हुए भी पति-पत्नी को साथ रहने को मजबूर करता है हमारा कानून, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
न चाहते हुए भी पति-पत्नी को साथ रहने को मजबूर करता है हमारा कानून, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
नई दिल्ली, एएनआई। अलग रह रहे दंपत्ति को एक साथ रहने के लिए बाध्य करने वाले कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजा है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई ने कानून मंत्री को ये नोटिस भेज कर इस बारे में राय मांगी है।

मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच बनाई थी। मौजूदा कानून अलग रह रहे दंपतियों को साथ रहने, सहकार्यों में सम्मिलित होने व दाम्पत्य जीवन को पूरी तरह से निभाने को बाध्य करता है। इसी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

दायर याचिका में कहा गया है कि इस तरह के कानून में महिलाओं को दासी की तरह समझा जाता है और उनके पास निजता के अधिकार जैसे कोई संवैधानिक अधिकार भी नहीं रहते।

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर के दो छात्रा ओजस्वा पाठक और मयंक गुप्ता ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 और स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 22 के साथ ही कानूनी प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठाए हैं।

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