सुप्रीम कोर्ट ने देह व्यापार को पेशा माना, जानें दुनिया के अन्य देशों में क्या है नियम?

सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत बड़ा कदम उठाते हुए सरकारों से कहा है कि यौनकर्मियों को भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं। इस बीच यह जानना जरूरी कि आखिर दुनिया के अन्य देशों में देह व्यापार को लेकर क्या रुख है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Fri, 27 May 2022 12:00 PM (IST) Updated:Fri, 27 May 2022 12:00 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने देह व्यापार को पेशा माना, जानें दुनिया के अन्य देशों में क्या है नियम?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देह व्यापार भी एक प्रोफेशन है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिया है कि उन्हें यौनकर्मियों के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पुलिस को बालिग और सहमति से संबंध बनाने वाली महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट कोरोना के दौरान यौनकर्मियों को आई पर परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि यौनकर्मियों को भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा के हकदार हैं। इस बीच यह जानना जरूरी कि आखिर दुनिया के अन्य देशों में देह व्यापार को लेकर क्या रुख है। और कहां-कहां इसे वैध करार दिया गया है।

वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस देश के हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला है। अगर पुलिस को किसी वजह से उनके घर पर छापेमारी करनी भी पड़ती है तो इस पेशे में शामिल लोगों को गिरफ्तार या परेशान न करे। अपनी मर्जी से प्रॉस्टीट्यूट बनना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।

इस मामले में पुलिस भी हो संवेदनशील

अगर यौनकर्मियों के साथ कोई भी अपराध होता है तो तुरंत उसे मदद उपलब्ध कराएं, उसके साथ यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता सहित वो सभी सुविधाएं मिलें जो यौन पीड़ित किसी भी महिला को मिलती हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस यौनकर्मियों के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है। ऐसे में पुलिस और एजेंसियों को भी यौनकर्मियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पुलिस को प्रॉस्टिट्यूट के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए, पुलिस को उनके साथ मौखिक या शारीरिक रूप से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। कोई भी यौगकर्मियों को यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

मीडिया के लिए भी बने गाइडलाइन

कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से यौनकर्मियों से जुड़े मामले की कवरेज के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील की है। जिससे गिरफ्तारी, छापे या किसी अन्य अभियान के दौरान यौनकर्मियों की पहचान उजागर न हो। कोर्ट ने ये आदेश यौनकर्मियों के पुनर्वास को लेकर बनाए गए पैनल की सिफारिश पर दिए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 19.07.2011 को द‌िए आदेश में कहा कि यदि मीडिया ग्राहकों के साथ यौन कर्मियों की तस्वीरें प्रकाशित करता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी के तहत अपराध को लागू किया जाना चाहिए। प्रेस काउंस‌िल ऑफ इंडिया को इस संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में ही यौनकर्मियों के लिए एक पैनल का गठन किया था जिसने इस समस्या से जुड़े तीन पहलुओं की पहचान की थी। एक तो तस्करी की रोकथाम, दूसरा यौन कार्य छोड़ने की इच्छा रखने वाली यौनकर्मियों का पुनर्वास, और तीसरा संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के अनुसार यौनकर्मियों को सम्मान के साथ जीने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाना।

क्या है अन्य देशों में देह व्यापार को लेकर कानून

कुछ देशों ने देह व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगा रखा है। जबकि अन्य देशों में देह व्यापार लीगल है। यौनकर्मियों को स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ दिया जाता है।

इन देशों में देह व्यापार नहीं है जुर्म

न्यूजीलैंड: देह व्यापार 2003 से कानूनी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य और रोजगार कानूनों के तहत लाइसेंस प्राप्त वेश्यालय भी संचालित होते हैं, और उन्हें सभी सामाजिक लाभ मिलते हैं।

फ्रांस: फ्रांस में देह व्यापार कानूनी है, हालांकि सार्वजनिक रूप से इसके लिए कहने की अभी भी अनुमति नहीं है।

जर्मनी: देह व्यापार को वैध कर दिया गया है और वेश्यालय हैं। यौनकर्मियों को स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है। टैक्स का भुगतान करना पड़ता है, और उन्हें पेंशन जैसे सामाजिक लाभ भी मिलते हैं।

ग्रीस: यौनकर्मियों को समान अधिकार मिलते हैं और उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए भी जाना पड़ता है।

कनाडा: कनाडा में देह व्यापार सख्त नियमों के साथ कानूनी है।

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