Supreme Court: नागरिकता कानून की धारा 6A को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में होगी 1 नवंबर को सुनवाई

असम के अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 1 नवंबर को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस बात की जानकारी दी है।

By Mohd FaisalEdited By: Publish:Wed, 07 Sep 2022 03:31 PM (IST) Updated:Wed, 07 Sep 2022 03:31 PM (IST)
Supreme Court: नागरिकता कानून की धारा 6A को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में होगी 1 नवंबर को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में होगी 1 नवंबर को सुनवाई (फोटो एएनआइ)

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने बुधवार को कहा कि वह 1 नवंबर को असम के अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। मामला संविधान पीठ के समक्ष रखा गया था, जिसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।

क्या है असम समझौता

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने में एक संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। असम समझौता भारत सरकार के प्रतिनिधियों और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoS) था। 15 अगस्त 1985 को नई दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उपस्थिति में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।

आल असम स्टूडेंट्स यूनियन कर रहा है विरोध

समझौते के मुख्य बिंदु असम से अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन था, जिसके लिए आल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) 1979 से विरोध कर रहा है। नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6A को 1985 में असम समझौते के एक संशोधन द्वारा सम्मिलित किया गया था, जिसने भारतीय मूल के अवैध प्रवासियों को वर्गीकृत किया था, जिनमें बांग्लादेश से प्रवासी असम में तीन समूहों में आए थे।

शुरू में 10 साल के लिए किया गया था विचार

बता दें कि भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 330-334 एंग्लो इंडियन और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए संसद के साथ-साथ राज्य विधानमंडलों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय हैं। यह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण और एंग्लो इंडियन के लिए नामांकन का प्रावधान करता है। आरक्षण और नामांकन, दोनों पर शुरू में 10 साल के लिए विचार किया गया था।

एससी/एसटी समुदायों को मिलता है इसका लाभ

हालांकि, यह देखते हुए कि उन समुदायों की सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं हुआ था, इसलिए प्रत्येक 10 साल की समाप्ति के बाद विस्तार दिया गया था। पिछला विस्तार संविधान (104वां संशोधन अधिनियम) 2020 के माध्यम से दिया गया था। 2020 में दिए गए विस्तार का लाभ केवल एससी/एसटी समुदायों को मिलता है, न कि एंग्लो इंडियन को। एससी/एसटी समुदायों के लिए 2020 में बढ़ाया गया आरक्षण 2030 तक जारी रहेगा।

chat bot
आपका साथी