बाधाओं से लड़ने की शक्ति देता है संघर्ष, इसलिए चुनौतियां जरूरी

जैसे तितली के विकास के लिए संघर्ष जरूरी है उसी तरह हमारी शक्तियां भी ऐसे ही दुरूह संघर्ष के दौरान ही विकसित होती हैं। इसलिए बाधाएं और चुनौतियां जरूरी हैं। दरअसल यह संघर्ष एक ऐसा अनुभव है जिससे हम सब परिचित हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 03:05 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 03:05 PM (IST)
बाधाओं से लड़ने की शक्ति देता है संघर्ष, इसलिए चुनौतियां जरूरी
संघर्ष, चुनौतियां जीवन में लड़ने की शक्ति देते हैं। (फोटो: दैनिक जागरण/प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, जेएनएन। एक बार तितली का एक बच्चा ककून (खोल) से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा था। एक व्यक्ति वहीं पास बैठकर यह देख रहा था। बहुत समय हो गया था, पर ककून से बाहर निकलती नन्ही तितली लगातार प्रयास कर रही थी। उस व्यक्ति से उसका कष्ट देखा नहीं गया। बिना देर लगाए उसने झट से कैंची निकाली और ककून के बाकी बचे हिस्से को काटकर तितली को बाहर निकाल दिया। बाहर आई तितली के पंख अभी विकसित नहीं हुए थे। शरीर भी सूजा हुआ था।

उस व्यक्ति ने महसूस किया कि उसने मदद के नाम पर कोई बड़ी गलती कर दी है। वह समझ गया कि ककून से बाहर आने के लिए दरअसल, तितली को जिस संघर्ष की जरूरत थी, वह नहीं कर सकी। यह एक अनिवार्य प्रक्रिया थी, जो पूरी नहीं होने के कारण तितली ताउम्र उड़ान नहीं भर सकी। जैसे तितली के विकास के लिए संघर्ष जरूरी है, उसी तरह हमारी शक्तियां भी ऐसे ही दुरूह संघर्ष के दौरान ही विकसित होती हैं। इसलिए बाधाएं और चुनौतियां जरूरी हैं।

दरअसल, यह संघर्ष एक ऐसा अनुभव है, जिससे हम सब परिचित हैं। लक्ष्य प्राप्ति या किसी क्षेत्र में कामयाबी इस अनुभव के बिना नहीं मिल सकती। हां, यह वह कुंजी है, जिससे खुल सकती है कामयाबी की राह। संघर्ष आपको भले कड़वा एहसास देता हो, आप इसके कारण खुद पीड़ित महसूस करते हों, पर एक समय के बाद आप पाते हैं कि यही आपको तराशता है, निखारता है और संवारता है। संघर्ष आपको ऐसे सांचे में गढ़ता है, जो आपको पहचान देता है। आप बीते दिनों के संघर्ष का बखान खुश होकर करते हैं।

जहां संघर्ष नहीं, वहां शक्ति नहीं।

-ओप्रा विनफ्रे, अमेरिकी टॉक शो होस्ट, अभिनेत्री


प्रगति और मजबूती लगातार जुटे रहने और संघर्ष से ही संभव है।

-नेपोलियन हिल, अमेरिकी सेल्फ हेल्प बुक के लेखक


कोई जुनून बिना संघर्ष के पैदा नहीं हो सकता।

-अल्बर्ट कैमस, फ्रांस के दार्शनिक, लेखक

हंसी से झरें फूल

हंसिए। खूब हंसिए। हंसी रोज सुबह की प्रार्थना है। यह उपासना है। हर स्थिति में हंसिए। सुख में, दुख में, सफलता में, असफलता में आपकी यह हंसी बनी रहे। मैं तो समझता हूं कि जिन्हें हंसना आता है, उसके आंसू भी हंसते हैं। जिसे हंसना नहीं आता, उसकी हंसी भी रोती है।

कितने रंग हैं इसके

हंसी-हंसी में भी भेद दिखता है। उदास लोग भी हंसते हैं, मगर उनकी हंसी कड़वा स्वाद छोड़ जाती है। मस्त लोग भी हंसते हैं, उनकी हंसी से फूल झरते हैं। एक हंसी होती है, जो केवल अपने दुख को भुलाने के लिए होती है। उस हंसी का कोई बड़ा उपयोग नहीं है-धोखा है, आत्मवंचना है। एक हंसी आपके भीतर उठ रही है आनंद से, वह भीतर उठ रहे गीत से झरती है।

आनंद का फैलाव है यह

भीतर कुछ भरा-भरा है। इतना भरा है-जैसे बदली भरी हो वृष्टि के जल से। वह झुकेगी, बरसेगी, भिगोएगी जमीन को, पहाड़ों को, वृक्षों को नहलाएगी। उसे हल्का होना ही होगा। जो हंसी आपको हल्का कर जाए, जो हंसी आनंद का फैलाव हो। जो हंसी बांटी जाए, वह हंसी पुण्य है।

बनी रहे आपकी मुस्कुराहट

मैं समझता हूं कि हंसना एक प्रार्थना है। यह जीवन की धड़कन है। यह कोई लत नहीं है। यदि कोई समग्ररूपेण हंसना सीख ले तो जीवन की कोई भी परिस्थिति उससे उसकी हंसी न छीन पाए, उसकी मुस्कुराहट बनी रहे-सुख में दुख में, सफलता-असफलता में तो कुछ और पाने को नहीं बचता।

chat bot
आपका साथी