स्टेंट के कारोबार में 270 से एक हजार फीसद तक हो रही है कमाई: रिपोर्ट

स्टेंट के व्यापार में सबसे ज्यादा कमाई अस्पतालों की हो रही है, रिपोर्ट के मुताबिक 270 से एक हजार फीसद की मार्जिन पर अस्पताल इस कारोबार में जुटे हैं।

By Suchi SinhaEdited By: Publish:Tue, 17 Jan 2017 10:48 AM (IST) Updated:Tue, 17 Jan 2017 03:31 PM (IST)
स्टेंट के कारोबार में 270 से एक हजार फीसद तक हो रही है कमाई: रिपोर्ट
स्टेंट के कारोबार में 270 से एक हजार फीसद तक हो रही है कमाई: रिपोर्ट

नई दिल्ली(जेएनएन)। इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि हो गई है कि उपभोक्ता से मरीज तक पहुंचते-पहुंचते हार्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमत दस गुना बढ़ जाती है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि स्टेंट व्यापार में विभिन्न स्तरों पर खिलाड़ी लाभ कमाते हैं।

स्टेंट के कारोबार में कमाई

स्टेंट के इस व्यपार में सबसे ज्यादा कमाई अस्पतालों की होती है, जो 650 फीसदी तक है। स्टेंट के मूल्य नियंत्रण को लेकर सबसे ज्यादा अस्पतालों और हृदय रोग विशेषज्ञों ने अपनी आवाज मुखर की है। एनपीपीए ने हर स्तर पर स्टेंट में हो रहे लाभ पर काम किया और एक डेटा तैयार करने के बाद पाया कि इसमेंं 270 फीसद से लेकर 1000 फीसदी तक की कमाई की जा रही है। इस रिपोर्ट में सामने आया कि अस्पतालों में इसमें तेजी का उछाल देखने को मिला।

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रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि वितरकों और अस्पतालों की तुलना में आयातकों या निर्माताओं को सबसे कम लाभ होता है। ये बात साफ हो गई है कि कई कंपनियां अपने वितरकों के माध्यम से बाजारों को संचालित कर रही हैं।मल्टीनेशनल स्टेंटमेकर्स और इंपोर्टर्स के एक लॉबी ग्रुप ने दावा किया था कि भारतीय कंपनियां जो स्टेंट बनाती हैं, उनका दाम वे इंपोर्टेड स्टेंट जितना ही ज्यादा रखती हैं। यह दावा एमएनसी और देसी कंपनियों के बीच स्टेंट के प्राइस कंट्रोल पर बढ़ते मतभेदों के बीच किया गया है।

क्या होता है स्टेंट ?

कार्डियक स्टेंट एक पतले तार जैसा होता है, जिसका इस्तेमाल आर्टरी को खोलने के लिए किया जाता है, जो दिल तक खून ले जाती हैं। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) विभिन्न कार्डियक स्टेंट्स के दाम को रेगुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले पर काम कर रहा है। उसने सभी संबंधित पक्षों की राय मांगी है। संभावना है कि एनपीपीए फरवरी के मध्य तक ड्रग (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर 2013 के नियमों के अनुसार कीमतों की लिमिट तय कर देगा।

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