जम्मू-कश्मीर: पत्थरबाजी में घायल छात्रा बोली- दोबारा नहीं करूंगी प्रदर्शन

जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी के दौरान घायल हुई एक छात्रा बताती हैं कि वह अब कभी दुबारा इस तरह के प्रदर्शनों में शामिल नहीं होंगी।

By Kishor JoshiEdited By: Publish:Mon, 24 Apr 2017 10:56 AM (IST) Updated:Mon, 24 Apr 2017 03:19 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: पत्थरबाजी में घायल छात्रा बोली- दोबारा नहीं करूंगी प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर: पत्थरबाजी में घायल छात्रा बोली- दोबारा नहीं करूंगी प्रदर्शन

 श्रीनगर (जेएनएन)। जम्म कश्मीर में सुरक्षाबलों पर हो रही पत्थरबाजी से न केवल जवानों को ही पेरशानी नहीं हो रही है, बल्कि पत्थरबाज के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोग भी इससे परेशान है। पत्थरबाजी के दौरान घायल हुई 17 वर्षीय इकरा श्रीनगर के एक अस्पताल भर्ती है। इकरा के सिर में फ्रैक्चर होने की वजह से पट्टियां हैं। उसकी आंखें पत्थरबाजी का शिकार होने की वजह तलाश रहीं हैं। इकरा सोच रही है कि उस पर क्यों पत्थर फेंके गए, उसका कसूर क्या था? इकरा दोबारा कभी प्रदर्शन नहीं करना चाहती हैं। 

इकरा उन सैकड़ों छात्रों में से एक है, जो पिछले सप्ताह कश्मीर के पुलवामा कॉलेज पुलिसिया कार्रवाई का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे। इकरा सहित कई छात्र इस इस प्रदर्शन में घायल हो गए थे। कश्मीर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीत बीते बुधवार को पुलवामा में जो हुआ, उसकी दो तस्वीरें सामने हैं। छात्र कहते हैं कि हथियारों से लैस वाहनों में पहुंचे सैनिकों ने उनके कॉलेज में छापेमारी की, जबकि सेना का कहना है कि वह एक कला प्रदर्शनी के संबंध में चर्चा करने के लिए प्रिंसिपल से मिलने गई थी। कॉलेज में सेना की इसी मौजूदगी ने छात्रों को पत्थरबाजी के लिए उकसाया।

छात्रों के अनुसार दो दिन बाद कॉलेज के बाहर सुरक्षा घेरा बनाया गया। पुलिस ने कहा, लंबे समय तक सुरक्षा घेरा बने रहने के बाद छात्रों द्वारा पत्थरबाजी शुरू कर दी गई, जवाब में पुलिस को आंसूगैस और पेलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ा। अगले दिन प्रतिबंधित अलगाववादी समर्थक कश्मीर स्टूडेंट्स यूनियन ने घाटी के सभी शैक्षिक संस्थाओं में बंद बुला लिया। अंग्रेजी अखबार टीओआई से बात करते हुए इकरा की बहन साइमा बताती हैं, 'नवकादल कॉलेज में फर्स्ट इयर स्टूडेंट इकरा अपने दोस्तों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन हम कॉलेज में सुरक्षाबल नहीं चाहते, हम वहां पढ़ाई करने जाते हैं।'
 

प्रदर्शन के दौरान कुछ लड़कों ने सेकीदफर चौक पर सीआरपीएफ बंकर के पास से पत्थरबाजी की। दर्द की वजह से बोल पाने पाने में असमर्थ इकरा ने इशारों में बताया कि पत्थर ऊपर से आया था और उसे लगने वाला पत्थर सीआरपीएफ की जवाबी कार्रवाई का नतीजा था। 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में हुए हिंसक प्रदर्शनों और पत्थरबाजी की घटनाओं में हजारों नागरिक और सुरक्षा बल घायल हो गए हैं। इकरा का इलाज कर रहे डॉक्टर बताते हैं कि उसे ठीक होने में लगभग 3 महीने का समय लगेगा।  9 सदस्यों के इकरा के परिवार का पूरा खर्च अकेले उसके पिता वहन करते हैं। जब इकरा से पूछा गया कि क्या वह दोबारा प्रदर्शन करेगी, तो उसने इशारे में 'ना' कहा।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में लॉ थर्ड यर की स्टडेंट इकरा की बहन साइमा बताती है, 'हम हिंसक प्रदर्शनों में विश्वास नहीं करते हैं, भारत के साथ हमारे जो भी मसले हैं, उनका समाधान हमें सही माध्यमों के द्वारा करना चाहिए। भारत ने अवैध रूप से कश्मीर पर कब्जा किया हुआ है। यही कारण है कि मैं एक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती हं और चीजों को बदलना चाहती हूं।'

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