भारत की पहली 'बुलेट ट्रेन' से जुड़ी कुछ अहम जानकारी, जानिए- कब पूरा होगा सपना

भारत की पहली बुलेट ट्रेन का सपना सच करने में जापान का महत्‍वपूर्ण योगदान है। जापान ने बुलेट ट्रेन की परियोजना का 81 फीसदी पैसा भारत को ऋण के रूप में दिया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 14 Sep 2017 09:09 AM (IST) Updated:Thu, 14 Sep 2017 11:26 AM (IST)
भारत की पहली 'बुलेट ट्रेन' से जुड़ी कुछ अहम जानकारी, जानिए- कब पूरा होगा सपना
भारत की पहली 'बुलेट ट्रेन' से जुड़ी कुछ अहम जानकारी, जानिए- कब पूरा होगा सपना

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भारत की पहली बुलेट ट्रेन का आज शिलान्‍यास हो रहा है। बुलेट ट्रेन गुजरात के साबरमती से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच दौड़ेगी। हालांकि ट्रेन का ज्‍यादातर भाग गुजरात में होगा। बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई तक का सफर सिर्फ 3 घंटे में तय कर लेगी।

जापान की मदद से भारत की बुलेट ट्रेन का सपना पूरा होने जा रहा है। देश की यह पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी। यह ट्रेन 508 किमी का फासला मात्र 3 घंटे में तय करेगी। मौजूदा समय में यह दूरी तय करने में 7 से 8 घंटे का समय लगता है। ट्रेन की रफ्तार 320 किमी/घंटे के करीब होगी।

बुलेट ट्रेन साबरमती से मुंबई तक पहुंचेगी और इसके लिए दोहरी लाइन होंगी। इसका लगभग 156 किमी महाराष्ट्र और 351 किमी गुजरात में होगा। बुलेट ट्रेन का पहला स्‍टेशन साबरमती है, जिसके बाद यह अहमदाबाद, आणंद/ नादिया, वडोदरा, भरच, सूरत, बिलीमोरा, वापी, वोइसर, विरार और ठाणे स्‍टेशन होते हुए अंतिम स्‍टेशन मुंबई पहुंचेगी।

बताया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्‍ट से प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से लगभग 40 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। 20 हजार लोगों को बुलेट ट्रेन की वजह से निर्माण क्षेत्र में 4 हजार ऑपरेशन में और 20 हजार अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा पूरे रूट में शहरी औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।

बुलेट ट्रेन ठाणे और वसई के बीच 7 किमी समंदर के नीचे दौड़ेगी। समंदर के नीचे होने के अहसास को अभी सिर्फ महसूस किया जा सकता है। लेकिन ये सपना 2022 तक पूरा हो जाएगा। इस प्रोजेक्‍ट पर जल्‍द की काम शुरू हो जाएगा। बुलेट ट्रेन का एक मॉडल अहमदाबाद आ चुका है, जिसे प्रदर्शन के लिए रखा जाएगा।

भारत की पहली बुलेट ट्रेन का सपना सच करने में जापान का महत्‍वपूर्ण योगदान है। जापान ने बुलेट ट्रेन की परियोजना का 81 फीसदी पैसा भारत को ऋण के रूप में दिया है। यह एक सॉफ्ट लोन है, जिसकी दर सिर्फ 0.1 फीसदी प्रतिवर्ष है। इस लोन को अधिकतम 50 साल में चुकाना है।

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