छत्तीसगढ़ में स्कूलों में स्मार्ट बोर्ड और कंप्यूटर से पढ़ाई में आड़े आई लापरवाही, केंद्र ने रोका भुगतान

छत्तीसगढ़ में स्कूलों के डिजिटलीकरण के बाद कंप्यूटर और प्रोजेक्टर बेस्ड पढ़ाई होनी है। शिक्षकों के मुताबिक इससे रसायनशास्त्र के प्रैक्टिकल के लिए करोड़ों का रसायन खरीदना नहीं पड़ेगा। बच्चे वीडियो के जरिए रसायनों के रियेक्शन को समझ सकेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 11:29 PM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 11:29 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में स्कूलों में स्मार्ट बोर्ड और कंप्यूटर से पढ़ाई में आड़े आई लापरवाही, केंद्र ने रोका भुगतान
नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में ब्लैक बोर्ड की जगह की-बोर्ड से पढ़ाने की योजना।

संदीप तिवारी, रायपुर। छत्तीसगढ़ में नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में बच्चों को ब्लैक बोर्ड की जगह की-बोर्ड से पढ़ाने की योजना अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। केंद्र सरकार की आइसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) योजना के पहले चरण में 1246 में कंप्यूटर लैब स्थापित करने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 67 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था। यहां स्मार्ट बोर्ड और कंप्यूटर के माध्यम से पढ़ाई होनी थी। अभी तक मात्र 725 स्कूलों तक ही सुविधा पहुंच पाई है। गंभीर स्थिति है कि वित्त वर्ष 2020-21 भी समाप्त होने में मात्र पांच महीने बचे हैं। राज्य के 4330 स्कूलों के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान कार्यरूप लेने में बुरी तरह पिछड़ गया है।

समग्र शिक्षा अभियान के तहत कंप्यूटर खरीदारी में लापरवाही

समग्र शिक्षा अभियान के तहत कंप्यूटर खरीदारी के लिए निविदा जारी प्रक्रिया में शुरू से ही लापरवाही रही। एक बार निविदा अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दूसरी बार बेनेट कोलमैन संस्थान को दी गई। संस्थान को सभी स्कूलों को तय समय पर कंप्यूटर नहीं भेजे तो शिकायतें हुईं। उसके बाद मामला ही शांत पड़ गया है।

पहले चरण का काम अधूरा, केंद्र सरकार ने रोकी राशि

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार केंद्रीय सहायता से इस योजना पर राज्य के स्कूलों में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च होने थे। पहले चरण के ही कंप्यूटर स्कूलों तक नहीं पहुंचने, विभागीय और प्रशासनिक लेटलतीफी को आधार बनाते हुए केंद्र सरकार ने आगे की राशि भी रोक दी है। कोरोना काल में काम तेजी से पूरा करने के अवसर को भी अफसर उपयोग में नहीं ला सके।

ऐसे होनी है कंप्यूटर से पढ़ाई

स्कूलों के डिजिटलीकरण के बाद कंप्यूटर और प्रोजेक्टर बेस्ड पढ़ाई होनी है। शिक्षकों के मुताबिक इससे रसायनशास्त्र के प्रैक्टिकल के लिए करोड़ों का रसायन खरीदना नहीं पड़ेगा। बच्चे वीडियो के जरिए रसायनों के रियेक्शन को समझ सकेंगे। भौतिकी, जीवविज्ञान और भूगोल के भी प्रैक्टिकल को ऑनलाइन या वीडियो के जरिए समझा जा सकेगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने नौवीं से कक्षा 12वीं तक के चेप्टरवाइज कंटेंट बेस वीडियो भी तैयार किए हैं। इनका इस्तेमाल कंप्यूटर आधारित पढ़ाई में हो सकेगा।

जितने स्कूलों के लिए राशि थी, उतने कंप्यूटर भेजे गए हैं। संपूर्ण योजना के लिए राशि नहीं आई है इसलिए कंप्यूटर नहीं भेज पाए हैं- जितेंद्र शुक्ला, संचालक, समग्र शिक्षा, छत्तीसगढ़।

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