मुंबई के स्लम में रहने वाला ये परिवार अपने घर पर पर्यटकों को देता है 'ऐसी' सुविधाएं

रवि टोनिया सांसी ने अपने 16 सदस्यों के परिवार के साथ में 12/6 फीट के अपने छोटे घर में पर्यटकों को ठहरने की व्यवस्था की है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Wed, 31 Jan 2018 03:50 PM (IST) Updated:Wed, 31 Jan 2018 04:46 PM (IST)
मुंबई के स्लम में रहने वाला ये परिवार अपने घर पर पर्यटकों को देता है 'ऐसी' सुविधाएं
मुंबई के स्लम में रहने वाला ये परिवार अपने घर पर पर्यटकों को देता है 'ऐसी' सुविधाएं

सांताक्रूज (एएनआई)। आमतौर पर झुग्गियों में रहने वाले काफी तंगहाल जीवन जीते हैं। उन्हें खुद के लिए भी सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध करना एक कल्पना मात्र होती है तो उनसे किसी दूसरे की सेवा और आतिथ्य की उम्मीद करना बेमानी लगता है। लेकिन मुंबई के झुग्गिवासियों के एक परिवार ने इसे झूठ साबित कर दिया है। सांताक्रूज़ के गोलीबार इलाके में रहने वाले एक झुग्गीवासी परिवार ने 'अतिथि देवो भव' की भावना को आत्मसात कर लिया है। ये परिवार मुंबई आने वाले विदेशी पर्यटकों को मेहमान की तरह अपने घर पर ठहराता है और काफी अच्छे से उनका आतिथ्य भी करता है। यह अवसर विशेष रूप से उन विदेशी पर्यटकों के लिए होता है, जो शहर में रहनेवाले झुग्गीवासियों की जिंदगी को नज़दीक से देखना चाहते हैं।

पर्यटकों के लिए दी है टीवी-एसी की है सुविधा

रवि टोनिया सांसी ने अपने 16 सदस्यों के परिवार के साथ में 12/6 फीट के अपने छोटे घर में पर्यटकों को ठहरने की व्यवस्था की है। मेहमानों को ठहराने के लिए, उन्होंने अपने घर के पास ही एक दूसरे कमरे का निर्माण किया है। इसके अलावा, उन्होंने अपने घर की पहली मंजिल पर बने कमरे को फिर से री-फर्निश किया है। इस कमरे में उनकी सुविधा के लिए गद्दे, एक बड़ा फ्लैट स्क्रीन टीवी और एक खिड़की एयर कंडीशनर लगाया गया है।

पर्यटकों को घर की फीलिंग देना है उद्देश्य

मेजबान का उद्देश्य मुंबई की स्लम झोपड़ी में ठहरने वाले पर्यटकों को घर की फीलिंग देना है। बताया जाता है कि यह विचार नीदरलैंड मूल के निवासी डेविड बीजिल द्वारा दिया गया है, जो एक एनजीओ के सुपरवाइजर हैं जहां रवि टोनिया काम करते हैं। वे बताते हैं उन्होंने खुद ही टोनिया परिवार की आतिथ्य का अनुभव किया है जिसके बाद उन्होंने इसका उपयोग अन्य पर्यटकों के लिए करने का निर्णय लिया।

स्लम्स का मूल्य समझाने के लिए है पहल

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए डेविड ने कहा, "इस तरह के पहल से उन्हें आर्थिक रूप से मदद मिल रही है। साथ ही इससे दो समूहों गरीब और अमीर समूह के बीच संपर्क बनाने में भी मदद मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि, दरअसल इस तरह का कार्य झुग्गी बस्तियों को आदर्श बनाने के बारे में नहीं है। स्लम में रहना काफी मुश्किल है। लेकिन लोग कैसे यहाँ रहते हैं उसका मूल्य बताने के लिए ऐसा किया जा रहा है। 

पहले नहीं लेते थे पैसे, लेकिन... 

शुरूआत में, टोनिया परिवार मुंबई की सड़कों पर पर्यटकों को मुंबई का नक्शा बेचने का काम करता था लेकिन जीपीएस नेविगेशन सिस्टम आ जाने के कारण उनके व्यवसाय पर इसका नकारात्मक असर पड़ा। बताया कि, रवि टोनिया शुरू में किसी भी पर्यटक से पैसे लेने से इनकार करते थे। उनका कहना था कि उन्हें पैसों की जरुरत नहीं है, जो भी उनके पास पहले से है वह उनके जीवन-यापन के लिए पर्याप्त है। हालांकि, डेविड के आग्रह पर पर्यटकों के लिए परिवार ने 2000 रूपये प्रति दिन चार्ज करना शुरु कर दिया।

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