केसरी बनना चाहते थे पीएम इसलिए गिराई थी गुजराल सरकार: प्रणब मुखर्जी

कई कांग्रेस नेताओं ने इसका आशय उनकी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा बताया है। उनका उद्देश्य गैर भाजपा सरकार के नेता के तौर पर खुद को पेश करना था।

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Sun, 15 Oct 2017 09:34 AM (IST) Updated:Sun, 15 Oct 2017 09:36 AM (IST)
केसरी बनना चाहते थे पीएम इसलिए गिराई थी गुजराल सरकार: प्रणब मुखर्जी
केसरी बनना चाहते थे पीएम इसलिए गिराई थी गुजराल सरकार: प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली, एजेंसी। 1997 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी (अब स्वर्गीय) ने प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए आईके गुजराल की सरकार को गिराया था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब 'कोलिएशन ईयर्स : 1996--2012' में यह रहस्योद्घाटन किया है।

मुखर्जी ने किताब में लिखा है, 'कांग्रेस ने समर्थन वापस क्यों लिया? केसरी के बार-बार यह कहने का मतलब क्या था कि मेरे पास वक्त नहीं है?' कई कांग्रेस नेताओं ने इसका आशय उनकी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा बताया है। केसरी ने भाजपा विरोधी भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश की। उनका उद्देश्य गैर भाजपा सरकार के नेता के तौर पर खुद को पेश करना था। केसरी ने मंत्रिमंडल से द्रमुक को हटाने की मांग को लेकर गुजराल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार से समर्थन वापस लिया था।

कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या की जांच करने वाले जैन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के बाद गुजराल सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की। जैन आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि द्रमुक और इसका नेतृत्व लिट्टे प्रमुख वी. प्रभाकरन और उसके समर्थकों को ब़़ढावा देने में शामिल था। जबकि साजिश में किसी नेता या किसी राजनीतिक दल के शामिल होने की बात नहीं कही गई थी। कांग्रेस गुजराल सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।

मुखर्जी ने लिखा है कि 1997 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस संकट को दूर करने के प्रयास में कई बैठकें हुई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने केसरी, मुखर्जी, जितेंद्र प्रसाद, अर्जुन सिंह और शरद पवार समेत कांग्रेस नेताओं के अपने निवास पर रात्रिभोज पर बुलाया। इस दौरान गुजराल ने कहा कि द्रमुक के किसी नेता के इसमें शामिल होने का सीधा प्रमाण नहीं। ऐसी स्थिति में द्रमुक के खिलाफ कार्रवाई से गलत संदेश जाएगा और साथ ही एक पार्टी के दबाव में काम करने वाली सरकार माना जाएगा।

गुजराल इस बात पर दृ़ढ थे कि सरकार की साख पर आंच नहीं आने देंगे। मुखर्जी ने लिखा कि हमने गुजराल से कहा कि उनकी बात को कांग्रेस कार्यसमिति में रखेंगे और कमेटी इस पर अंतिम फैसला लेगी। कांग्रेस के अधिकतर सदस्य सरकार से समर्थन लेने के पक्ष में नहीं थे। इसके बावजूद कमेटी ने सरकार से समर्थन वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

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