गुजरात में बोले शिवराज चौहान, इस दांडी यात्रा का संदेश है आत्मनिर्भर भारत का निर्माण

मुख्यमंत्री चौहान और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह गुरुवार सुबह गुजरात में मां नर्मदा और सागर के संगम स्थल पहुंचे। उन्होंने भरूच के पास खंभात की खाड़ी में पूजा-अर्चना की और कोरोना की समाप्ति तथा देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 10:56 PM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 10:56 PM (IST)
गुजरात में बोले शिवराज चौहान, इस दांडी यात्रा का संदेश है आत्मनिर्भर भारत का निर्माण
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की फाइल फोटो

भोपाल, राज्य ब्यूरो। आजादी के 75वें वर्ष में आयोजित 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत निकाली जा रही दांडी यात्रा में गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। गुजरात के सूरत जिले के ग्राम छापरभाटा में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 'इस दांडी यात्रा का संदेश आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध होना है। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह की स्मृति में आयोजित इस दांडी यात्रा में शामिल होने का अवसर मिल रहा है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाई, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश का एकीकरण किया तथा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'आत्मनिर्भर भारत' का निर्माण कर रहे हैं। जिस दिन प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की घोषणा की थी, उसी दिन से मध्य प्रदेश में 'आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश' के निर्माण पर कार्य हो रहा है।  

नर्मदा संगम स्थल पर की पूजा, कोरोना समाप्ति के लिए की प्रार्थना

कोरोना समाप्ति के लिए की प्रार्थना मुख्यमंत्री चौहान और उनकी धर्मपत्नी साधना सिंह गुरुवार सुबह गुजरात में मां नर्मदा और सागर के संगम स्थल पहुंचे। उन्होंने भरूच के पास खंभात की खाड़ी में पूजा-अर्चना की और कोरोना की समाप्ति तथा देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। चौहान ने कहा कि नर्मदा मैया के दर्शन कर हम संकल्प लें कि नदियों और पर्यावरण का संरक्षण करेंगे। नर्मदा जी मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा हैं। इसके तट पर अनेक साधुओं, महात्माओं और ऋषियों ने तपस्या और साधना कर मानवता को राह दिखाई। नर्मदा से न सिर्फ पीने का पानी, बल्कि सिंचाई और बिजली के उत्पादन का लाभ भी मिलता है। यह पवित्र रेवा हमारी आस्था की प्रतीक है।

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