परिवार नियोजन की जरूरत महसूस करें मुसलमान

शिवसेना ने एक विवादास्पद टिप्पणी में सोमवार को कहा कि देश में मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या भाषाई और भौगोलिक असंतुलन का कारण बनेगी। साथ ही प्रधानमंत्री से कहा कि वह मुसलमानों से परिवार नियोजन की जरूरत स्वीकार कराना सुनिश्चित कराएं। सेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि

By Sudhir JhaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2015 10:57 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2015 08:40 PM (IST)
परिवार नियोजन की जरूरत महसूस करें मुसलमान

मुंबई। शिवसेना ने एक विवादास्पद टिप्पणी में सोमवार को कहा कि देश में मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या भाषाई और भौगोलिक असंतुलन का कारण बनेगी। साथ ही प्रधानमंत्री से कहा कि वह मुसलमानों से परिवार नियोजन की जरूरत स्वीकार कराना सुनिश्चित कराएं।

सेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि मुसलमानों को जवाब देने के लिए हिंदुओं की आबादी बढ़ाना समस्या का समाधान नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सभी धर्मो पर परिवार नियोजन सख्ती से लागू कराने के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए। वर्ष 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी करीब 24 फीसद बढ़ी है और यह 2015 तक पांच-दस फीसद निश्चित रूप से और बढ़ गई है। यह बढ़ती आबादी भाषाई, भौगोलिक और भावनात्मक असंतुलन का कारण बनेगी और इससे देश की एकता में दरारें पैदा होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुसलमानों से स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि वे देश के कानून का पालन करें और परिवार नियोजन की अनिवार्यता स्वीकार करें।

प्रधानमंत्री ने आधी रात में भी दरवाजा खटखटाने पर उनके मुद्दों का समाधान करने का वादा किया है लेकिन क्या मुसलमान भी देश की मदद के लिए उसी तरह दौड़ेंगे? देश को लोकपाल से भी अधिक एक समान नागरिक संहिता की जरूरत है। संपादकीय में लिखा गया है कि जो भी घर वापसी की कोशिश करना चाहे कर सकता है। हम उसका विरोध नहीं करते लेकिन यह देश पर इस्लामिक हमले का समाधान नहीं है। पाकिस्तान जैसे देशों में इस्लामिक सरकार है लेकिन उन देशों में मानव जीवन की बहुत इज्जत नहीं है। इसके विपरीत तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों ने आधुनिक तकनीक स्वीकार की है और यूरोप और अमेरिका के साथ प्रगति की दौड़ में है। मोदी सरकार को मुसलमानों के दरवाजे खटखटा कर उन्हें इस तथ्य से अवगत कराना चाहिए।

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