सावधान! अगर जलवायु परिवर्तन होता रहा, तो झेलने पड़ेंगे केरल बाढ़ से भी भयंकर हालात

वैज्ञानिकों की चेतावनी, अगर ग्लोबल वॉर्मिंग के हालात नहीं बदले, तो केरल बाढ़ जैसी आपदा को नहीं रोका जा सकेगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Sat, 25 Aug 2018 03:15 PM (IST) Updated:Sat, 25 Aug 2018 03:20 PM (IST)
सावधान! अगर जलवायु परिवर्तन होता रहा, तो झेलने पड़ेंगे केरल बाढ़ से भी भयंकर हालात
सावधान! अगर जलवायु परिवर्तन होता रहा, तो झेलने पड़ेंगे केरल बाढ़ से भी भयंकर हालात

नई दिल्ली (जेएनएन)। केरल में मूसलाधार बारिश के बाद आई भयंकर बाढ़ से सबकुछ तहस-नहस हो गया है। बाढ़ ने साढ़े तीन सौ से ज्यादा लोगों की जिंदगी लील ली है, जबकि 13 लाख के करीब लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो गए। लोगों की जिंदगी भर की कमाई से बना उनका आशियाना ताश के पत्तों की तरह पानी में बह गया। लेकिन केरल जो आज झेल रहा है उसकी चेतावनी काफी वक्त पहले ही वैज्ञानिकों ने दे दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग के हालात नहीं बदले, तो ऐसी आपदा को नहीं रोका जा सकता। बता दें कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ही इस साल केरल में सामान्य से ढाई गुना ज्यादा बारिश गुई और बाढ़ के हालात पैदा हुए, जिसने ऐसी तबाही मचाई कि केरल ने रंगत ही उजाड़ दी।

पिछले 67 वर्षों में तीन गुना बढ़ी बरसात

मुंबई के पाली स्थिति मौसम केंद्र के वैज्ञानिक रॉक्‍सी मैथ्‍यू कोल का कहना है, 'केरल में सामान्य से अधिक हुई बारिश और बाढ़ की कोई एक वजह निकालना काफी मुश्किल है।' उन्होंने कहा कि हालांकि हमारी रिसर्च बताती है कि पिछले 67 वर्षों में (1950-2017) देशभर में हुई बारिश में करीब तीन गुना बढ़ोत्‍तरी हुई है। इससे न सिर्फ बाढ़ आई है, बल्कि देशभर में 69 हजार लोगों की जानें की गई हैं। जबकि एक करोड़ 70 लाख लोगों को अपना घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।

10 अगस्त तक लबालब भरे थे केरल के बांध

स्थिति कितनी भयावह थी इसका अंदाजा आप इसी लगा सकते हैं कि केरल में 10 अगस्त तक राज्य के सभी बाढ़ पानी से लबालब भर गए थे। मजबूरन बाढ़ के गेट खोलने पड़े। इनमें इडुक्की गेट के दरवाजे तो पिछले 26 वर्षों में पहली बार खोले गए।

पिछले 10 वर्षों में जलवायु परिवर्तन से बढ़ी गर्मी

मानसून विशेषज्ञ एलेना सुरोव्‍यात्किना ने बताया, 'पिछले 10वर्षों में जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन पर गर्मी बढ़ी है। जिस कारण मध्‍य व दक्षिण भारत में मानसूनी बारिश में बढ़ोत्‍तरी हुई है।' वर्ल्‍ड बैंक की रिपोर्ट 'साउथ एशिया हॉटस्‍पॉट' में कहा गया है कि अगर हालात नहीं बदले तो भारत का औसत सालाना तापमान डेढ़ से तीन डिग्री तक बढ़ सकता है।

तो भारत की जीडीपी को पहुंएगा नुकसान

वर्ल्‍ड बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, 'अगर जलवायु परिवर्तन को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो अनियमित बारिश और बढ़ते तापमान से भारत की जीडीपी को 2.8 फीसद का नुकसान हो सकता है और 2050 तक देश की आधी आबादी पर बुरा असर पड़ेगा।' भारत के लिए केवल बाढ़ ही समस्‍या नहीं है बल्कि जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में भारत में ज्यादा गर्मी भी पड़ेगी और मानसूनी बारिश में भी इजाफा होगा।

तटीय शहरों होंगे लपेटे में

रिसर्च में कहा गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन पर काबू नहीं पाया गया तो गर्मी और नमी के चलते उत्तरपूर्वी भारत के कुछ हिस्से इस शताब्दी के अंत तक रहने लायक नहीं बचेंगे। वहीं तटीय शहर समंदर के बढ़ते स्तर की चपेट में आ जाएंगे। ऐसे में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

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