सुप्रीम कोर्ट ने NPR की प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट में अनपीआर और सीएए की प्कोरक्रिया को रोकने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Mon, 27 Jan 2020 03:43 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jan 2020 03:50 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने NPR की प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने NPR की प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार, केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली, एएनआइ। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में अनपीआर और सीएए को रोकने के लिए जनहित याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने इसको लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की खंडपीठ ने इस प्रक्रिया को रोकने के लिए एक आदेश पारित करने से इनकार करते हुए सीएए के अन्य मामलों के साथ-साथ उन दलीलों को भी सूचीबद्ध कर दिया है जिन पर बाद में सुनवाई होने वाली है।

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, असोन जन मोर्चा, और अन्य लोगों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून और जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के सामने नई याचिकाएं दायर की गई थीं। दायर याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि एनपीआर के लिए जो जानकारी एकत्र की जाएगी, उसका दुरुपयोग होने से बचाने की गारंटी नहीं है। तीसरे पक्ष द्वारा डेटा के अनधिकृत इस्तेमाल के मामले में कोई प्रावधान या जिम्मेदारियां तय नहीं की गई हैं।

140 से अधिक याचिकाएं

पिछले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में 140 से अधिक याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

क्या कहना है विरोध करने वालों का

इस कानून के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि पहली बार भारत में नागरिकता का आधार धर्म होगा। इससे देश के संविधान मूलभूत अवधारणा को ठेस पहुंचती है।

क्या है नागरिकता कानून

बता दें कि नागरिकता कानून को संसद से 11 दिसंबर को पारित किया गया था। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी के रूप में नहीं देखा जाएगा। इन तीन पड़ोसी इस्लामिक देशों में धर्म के आधार पर प्रताडि़त किए गए इन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।

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