बीमार रेल यात्रियों को ट्रेन में नहीं होगी सांस की दिक्कत, लगेगा आक्सीजन सिलेंडर

एम्स की सलाह पर रेलवे यात्रियों को और चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए उठाए कदम...

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Sun, 22 Oct 2017 10:07 PM (IST) Updated:Mon, 23 Oct 2017 09:31 AM (IST)
बीमार रेल यात्रियों को ट्रेन में नहीं होगी सांस की दिक्कत, लगेगा आक्सीजन सिलेंडर
बीमार रेल यात्रियों को ट्रेन में नहीं होगी सांस की दिक्कत, लगेगा आक्सीजन सिलेंडर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बीमार रेल यात्री को तत्काल चिकित्सा उपलब्ध कराने और जान बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को हर ट्रेन में आक्सीजन सिलेंडर रखने का आदेश दिया है ताकि सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे यात्री को तत्काल मदद दी जा सके। कोर्ट ने रेल यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए ट्रेन और स्टेशनों पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिये हैं। साथ ही रेलवे से कहा है कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की सलाह लेकर यात्रियों को और चिकित्सा सुविधा देने के लिए कदम उठाए।

रेलवे को ये आदेश मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ 11 वर्षो से लंबित रेलवे की याचिका निपटाते हुए दिये हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने रेल यात्रियों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के कई निर्देश दिये थे। जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। कोर्ट ने रेलवे द्वारा यात्रियों को उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सीय सुविधाओं के अलावा प्रत्येक ट्रेन पर आक्सीजन सिलेंडर रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रेन पर आक्सीजन सिलेंडर रखा जाए ताकि किसी को सांस संबंधी दिक्कत होने पर तत्काल मदद दी जा सके। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी यात्री का साथी टिकट कलेक्टर या अटेंडेंट से तत्काल चिकित्सा सुविधा की मांग करता है तो टिकट कलेक्टर या अटेन्डेंट की जिम्मेदारी होगी कि वह इस बारे में अगले स्टेशन के अधिकारियों को सूचित करे ताकि मरीज यात्री को अगले स्टेशन पर जहां अस्पताल की सुविधा हो, जरूरी चिकित्सा मदद दी जा सके। कोर्ट ने रेलवे की ओर से यात्रियों को उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सा सुविधाओं को आदेश में दर्ज करते हुए रेलवे को निर्देश दिया है कि वह एम्स के डाक्टरों की विशेषज्ञ राय लेकर उनकी सलाह के मुताबिक चिकित्सा सुविधाओं को और ज्यादा ठीक करे।

हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कई तरह की चिकित्सा सुविधाएं रेलवे पहले ही शुरू कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रेलवे की ओर से हलफनामा दाखिल कर यात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं का ब्योरा भी दिया गया था।

रेलवे ने कहा देते हैं ये सुविधाएं

1 - लंबी दूरी की ट्रेनों में प्राथमिक चिकित्सा बाक्स रहता है। इस बाक्स में डाक्टर द्वारा प्रस्तावित 58 तरह की दवाइयां होती हैं जो ट्रेन में चल रहे डाक्टर की सलाह पर जरूरतमंद रेल यात्री को दी जाती हैं

2- रेलवे का आल परपस इमरजेंसी नंबर 138 पर जरूरतमंद रेलवे यात्री मदद मांग सकता है इसके अलावा ट्रेन में चल रहे अटेंडेंट के जरिये या ट्वीटर के जरिये भी मदद मांगी जा सकती है

3- जोनल रेलवे को स्टेशन पर कैमिस्ट स्टाल उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं ताकि जरूरतमंद को दवा उपलब्ध हो सके। भारत में कुल 175 स्टेशनों पर कैमिस्ट स्टाल या अन्य स्टालों पर दवाइयां उपलब्ध हैं।

4- रेलवे सभी आरक्षित कोच में डाक्टरों को किराए में 10 फीसद की छूट देता है अगर वह डाक्टर रास्ते में जरूरत पड़ने पर सेवा देने की हामी भरते हैं तो। उस डाक्टर का नाम आरक्षण चार्ट में लिखा होता है ताकि जरूरत पड़ने पर यात्री सीधे अथवा टीटी के जरिये उसकी मदद ले सके

5- देश भर में स्टेशनों के पास रेलवे के 600 अस्पताल स्थित हैं जिसमें रेलवे कर्मचारियों के अलावा यात्रियों को भी इलाज मुहैया कराया जाता है।

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