दो साल और बढ़ाया जा सकता है विदेश सचिव एस.जयशंकर का कार्यकाल
जानकारों के मुताबिक कूटनीति में जयशंकर की प्रोफेशनल कुशलता की कायल न सिर्फ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हैं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी उनकी समझ बेहतरीन है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जनवरी, 2015 में अचानक ही जब एस जयशंकर को विदेश सचिव बनाया गया तो राजग सरकार के इस कदम की काफी आलोचना भी की गई। लेकिन बीते 20 महीनों में यह बात साबित हो गई है कि पीएम नरेंद्र मोदी का यह फैसला बहुत हद तक सटीक बैठा है। हाल के दिनों में वैश्विक मंच पर भारतीय कूटनीति की चुनौतियों को साधने के लिए जिस तरह से कदम उठाये गये हैं उनमें जयशंकर की अहम भूमिका रही है। मोदी सरकार के एजेंडे में फिलहाल विदेश नीति सबसे उपर है। ऐसे में सरकार उच्च स्तर पर विदेश सचिव को दो साल का कार्य विस्तार देने का मन बना चुकी है। जयशंकर वैसे तो जनवरी, 2017 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार मिलने के पूरे आसार हैं।
जानकारों के मुताबिक कूटनीति में जयशंकर की प्रोफेशनल कुशलता की कायल न सिर्फ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हैं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी उनकी समझ बेहतरीन है। साथ ही सरकार से जुड़े राजनीतिक लोग भी जयशंकर को मोदी सरकार की वैश्विक सोच को लागू करने के लिए सबसे बेहतरीन मान रहे हैं। अगर उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार मिलता है तो एक तरह से वह मोदी सरकार के शेष बचे पूरे कार्यकाल तक विदेश सचिव बने रह सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षो में चीन व अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रिश्ते भारतीय कूटनीति के सबसे अहम आयाम होंगे। इन दोनो देशों को फिलहाल एस जयशंकर से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। यह भी एक वजह है कि सरकार फिलहाल किसी दूसरे को विदेश सचिव बनाना नहीं चाहती।
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