रूसी गैस पाइपलाइन चाबहार से भारत आएगी !

भारत ने अगर ईरान के चाबहार में नया बंदरगाह बनाने की योजना शुरु की है तो उसके पीछे बहुत बड़ी कूटनीतिक व आर्थिक सोच है। शनिवार को भारत और

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Sat, 15 Oct 2016 08:09 PM (IST) Updated:Sun, 16 Oct 2016 03:06 AM (IST)
रूसी गैस पाइपलाइन चाबहार से भारत आएगी !

जयप्रकाश रंजन, बेनोलिम (गोवा)। भारत ने अगर ईरान के चाबहार में नया बंदरगाह बनाने की योजना शुरु की है तो उसके पीछे बहुत बड़ी कूटनीतिक व आर्थिक सोच है। शनिवार को भारत और रूस के बीच शीर्षस्तरीय बैठक हुई तो इसमें चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल का मुद्दा भी उठा।

दोनो देशों के बीच रूस से भारत तक गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए जो संभाव्यता अध्ययन किया जाएगा उसमें चाबहार का इस्तेमाल एक अहम विकल्प होगा। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक रूस से भारत तक गैस पाइलपाइन बिछाने के अभी जितने उपलब्ध रास्ते हैं उसमें चाबहार सबसे मजबूत व संभव विकल्प है।

भारत के पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दैनिक जागरण को बताया कि पिछले एक वर्ष के भीतर भारत और रूस के बीच तीन से चार गैस पाइपलाइन मागरें का अध्ययन कर चुके हैं। इसमें एक मार्ग चीन से हो कर भी है। प्रधान ने पूछने पर चाबहार का जिक्त्र तो नहीं किया लेकिन उन्होंने माना कि ईरान-अफगान का रास्ता भी विकल्पों में से एक है।

उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी का स्पष्ट निर्देश है कि संभाव्यता अध्ययन कम से कम वक्त में पूरा किया जाना चाहिए। इसलिए रूस की कंपनी गैजप्रोम और भारतीय कंपनी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को मार्च, 2017 तक संभाव्यता अध्ययन पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

प्रधान मानते हैं कि रूस आने वाले दिनों में भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम देश साबित होगा। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के सामने आज दोनों देशों के बीच जितने समझौते हुए हैं उनमें से पांच समझौते उर्जा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

भारतीय कंपनियों ने पिछले चार महीनों में रूस में तेल व गैस ब्लाक खरीदने में 5.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा रूस की सरकार ने अपने तीन और तेल व गैस ब्लाकों में हिस्सेदारी भारतीय कंपनियों को देने का प्रस्ताव किया है।

भारत की इस गैस पाइपलाइन योजना से साफ है कि चाबहार पोर्ट को लेकर उसकी योजना लंबे समय की है। चाबहार पोर्ट के निर्माण को ईरान के साथ ही अफगानिस्तान के आर्थिक विकास के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। भारत ने पहले ही कहा हुआ है कि वह इस पोर्ट में दो लाख करोड़ रुपये तक का नया निवेश कर सकता है। इस राशि से यहां उर्वरक प्लांट लगा कर भारत अपने किसानों को काफी कम कीमत पर उर्वरक पहुंचाने की मंशा भी रखता है।

भारत, ईरान और अफगानिस्तान में चाबहार पोर्ट को लेकर मोदी की ईरान यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हुए थे। उसके बाद से लगातार तीनो देशों के आधिकारियों के बीच विचार विमर्श हो रहा है। कूटनीतिक जानकार मानते हैं कि आने वाले दिनों में ईरान का चाबहार पोर्ट चीन की मदद से पाकिस्तान में बनाये जाने वाले ग्वादर पोर्ट से मुकाबला करेगा। भारत इसमे निवेश के लिए जापान को तैयार कर रहा है। रूस के भी इस परियोजना में शामिल होने से इसका महत्व बढ़ जाएगा।

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