जस्टिस धर्माधिकारी के इस्तीफे की अधिसूचना जारी, महाराष्ट्र से बाहर जाने में बताया था अक्षम

सरकार ने बांबे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज सत्यरंजन धर्माधिकारी (SC Dharmadhikari) के इस्तीफे की अधिसूचना जारी कर दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 06:28 PM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 06:31 PM (IST)
जस्टिस धर्माधिकारी के इस्तीफे की अधिसूचना जारी, महाराष्ट्र से बाहर जाने में बताया था अक्षम
जस्टिस धर्माधिकारी के इस्तीफे की अधिसूचना जारी, महाराष्ट्र से बाहर जाने में बताया था अक्षम

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने बांबे हाई कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज सत्यरंजन धर्माधिकारी के इस्तीफे की अधिसूचना जारी कर दी है। गत दिनों उन्हें प्रोन्नति देते हुए उड़ीसा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। विधि मंत्रालय के अनुसार, अधिसूचना 15 फरवरी से लागू होगी। जस्टिस धर्माधिकारी ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वह व्यक्तिगत और पारिवारिक कारणों से महाराष्ट्र से बाहर जाने में अक्षम हैं।

जस्टिस धर्माधिकारी ने 14 फरवरी को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि मुझे प्रोन्नति देते हुए दूसरे प्रदेश के हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया गया है, लेकिन मैं मुंबई छोड़ना नहीं चाहता। उन्‍होंने यह भी कहा था कि वे लोग मुझे बांबे हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के लिए तैयार नहीं हैं। तय प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजते हैं, जिसे स्वीकार कर लिया जाता है।

बीते 14 फरवरी को जस्टिस धर्माधिकारी ने अदालत में वकीलों को बताया था कि आज दफ्तर में उनका आखिरी दिन है और 17 फरवरी से वे उपलब्ध नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई में मेरी कुछ निजी जिम्मेदारियां हैं। यही कारण है कि मैं महाराष्ट्र के बाहर तबादला नहीं चाहता। सुबह में एक वकील उनके पास एक मामले की तत्काल सुनवाई के लिए गया था। जस्टिस धर्माधिकारी ने अदालत में कहा कि मैंने त्यागपत्र दे दिया है। आज अदालत में मेरा आखिरी दिन है।

अदालत में मौजूद वकील मैथ्यू नेदुमपारा ने इस घटना पर कहा था कि जब जस्टिस धर्माधिकारी ने अपने त्यागपत्र की बात कही, तो पहले लगा कि वे मजाक कर रहे हैं। वे बहुत वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और उनका त्यागपत्र देना एक झटके की तरह है। उल्लेखनीय है कि जस्टिस धर्माधिकारी वकीलों के परिवार में पैदा हुए हैं। उन्होंने 1983 में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू किया। 14 नवंबर, 2003 को उन्हें मुंबई हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनाया गया था। वे 2022 में रिटायर होने वाले थे।

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