पाकिस्‍तान की मीडिया भारत सरकार को बता रही हिंदू राष्‍ट्रवादी, जानें और क्‍या कुछ कहा

जम्‍मू कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान की बेचैनी को एक अखबार के संपादकीय से आसानी से समझा जा सकता है। लेकिन इसमें भी वह एक कदम पिछड़ गया और भारत सरकार ने अपना फैसला ले भी लिया।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 05 Aug 2019 11:07 AM (IST) Updated:Mon, 05 Aug 2019 10:18 PM (IST)
पाकिस्‍तान की मीडिया भारत सरकार को बता रही हिंदू राष्‍ट्रवादी, जानें और क्‍या कुछ कहा
पाकिस्‍तान की मीडिया भारत सरकार को बता रही हिंदू राष्‍ट्रवादी, जानें और क्‍या कुछ कहा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान की बेचैनी किसी से छिपी नहीं रही है। लेकिन अब उसकी ये बेचैनी काफी बढ़ गई है। पाकिस्‍तान की सरकार से लेकर वहां की मीडिया तक में इसको लेकर शोर है। पाकिस्‍तान के अखबार कश्‍मीर में बढ़ रही हलचल की खबरों से पटे पड़े हैं। अखबार और सरकार अपने-अपने तरीके से कयास लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कश्‍मीर पर भारत की केंद्र सरकार आखिर क्‍या फैसला लेने जा रही है। लेकिन वह सिर्फ कयास ही लगाता रह गया और भारत सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर पर एतिहासिक फैसला ले लिया। भारत सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर को केंद्र शासित राज्‍य का दर्जा देने का बड़ा फैसला ले लिया है। इसको फैसले का अंदाजा लगाना पाकिस्‍तान सरकार और वहां की मीडिया महज 35ए तक ही सीमित था। यहां पर  ये भी बताना बेहद जरूरी है कि आखिर पाकिस्‍तान के नामी अखबार के संपादकीय में कश्‍मीर हालात पर आखिर क्‍या कुछ कहा जा रहा था। 

पाकिस्‍तान झूठ का कच्‍च- चिटठा 
पिछले कुछ समय से पाकिस्‍तानी मीडिया में कश्‍मीर को लेकर खबरें और उनमें लिखा झूठ भी काफी बढ़ चुका है। बहरहाल, हम आपको बता दें कि कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान के नामी अखबार द डॉन में संपादकीय छपा है। इसमें भारत की केंद्र सरकार को हिंदू राष्‍ट्रवादी भाजपा सरकार कहकर संबोधित किया गया है। इसमें लिखा गया है कि भारत जवानों की तैनाती के साथ ही उन इलाकों पर कब्‍जा करने की कोशिश कर रही है। भारतीय मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए इस संपादकीय में लिखा गया है कि केंद्र ने कश्‍मीर में 25 हजार अतिरिक्‍त जवानों की तैनाती की है। यह जवान उन दस हजार जवानों से अलग हैं जिन्‍हें पिछले सप्‍ताह यहां पर तैनात किया गया था। केंद्र सरकार ने कश्‍मीर में मौजूद सभी पर्यटकों और हिंदू श्रद्धालुओं को भी यहां से चले जाने को कहा है। इसकी वजह हमले की आशंका जताई गई है।

संपादकीय में कही गई कुछ बातें 
संपादकीय में कहा गया है कि भारत के कब्‍जे वाले कश्‍मीर में लगातार गड़बडि़यां चल रहे हैं। घाटी में रह रहे लोगों को खाना और तेल अपने पास रखने के लिए कह दिया गया है। इसकी वजह से लोगों में दहशत फैली हुई है। इसमें केंद्र सरकार का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पुलिस को दिल्‍ली से मिले आदेश के बाद खुलासा हुआ है कि उन्‍हें राज्‍य की सभी मस्जिदों और प्रचारकों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है। इसमें यहां तक कहा गया है कि भारत लगातार घाटी में माहौल को अशांत करने की कोशिश कर रहा है। यहां के हालात बेहद विस्‍फोटक हो चुके हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि भारत लगातार सीमा पर गोलाबारी कर सीजफायर का उल्‍लंघन कर रहा है।

35ए पर ही अटका रहा पाक
संपादकीय में इस बात की आशंका जताई गई है कि केंद्र भारतीय संविधान में शामिल उस अनुच्‍छेद को खत्‍म कर सकता है जिसमें बाहरी लोगों के जम्‍मू कश्‍मीर में संपत्ति खरीदने पर पाबंदी लगी हुई है। अखबार के मुताबिक राज्‍य के हालात इस तरफ इशारा भी कर रहे हैं। संपादकीय के मुताबिक भाजपा और आएसएस का गठजोड़ किसी से छिपा नहीं है। भाजपा उसकी ही सोच पर काम करती है। इस संपादकीय में सवाल उठाया गया है कि कश्‍मीर में बढ़ रही हलचल के पीछे कहीं संघ परिवार की कश्‍मीर पर कब्‍जा करने की मंशा तो नहीं है। इसमें दूसरा सवाल किया गया है कि क्‍या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी लोकतांत्रिक सम्‍मेलनों में कही गई बातों को दरकिनार कर वोटबैंक की खातिर आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे।

आपको यहां पर बता दें कि कुछ दिन पहले ही भारतीय सेना ने सीमा पर पाकिस्‍तान की बॉर्डर एक्‍शन टीम के सात जवानों को मार कर बड़ी सफलता हासिल की थी। इसके बाद पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बैठक बुलाई थी, जिसके बाद इन जवानों के शवों को अपना बताने से भी इनकार कर दिया गया। यह सबकुछ जम्‍मू कश्‍मीर के इर्द-गिर्द होने वाली खबरें थीं, जिस पर पाकिस्‍तान की मीडिया ने काफी कुछ लिखा था।  

कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान की सोच 
संपादकीय में इसके जवाब में कहा है कि घाटी के बदलते हालात फिलहाल इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। इसमें कहा गया है 35ए से छेड़छाड़ कर केंद्र सरकार फ्लडगेट खोल देगी। इसकी वजह से यहां की डेमोग्राफी काफी हद तक बदल जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो यहां पर बाहरी लोगों की तादाद में यहां के अपने लोग कम हो जाएंगे। यदि दिल्‍ली में बैठी सरकार सोचती है कि वह ऐसा कर कश्‍मीर को जीत लेगी तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। इस तरह का कोई भी फैसला न सिर्फ कश्‍मीरियों में भारत के प्रति नफरत को बढ़ा देगा बल्कि उनके गुस्‍से को और चरम पर ले जाएगा। वैसे भी कश्‍मीर में आजादी को लेकर यहां के लोगों ने वर्षों से मुहिम चला रखी है।

आतंकियों को किया पाकिस्‍तान को सलाम
इस संपादकीय में कहा गया है कि भारत वर्षों से अपनी सेना के जरिए यहां पर लोगों के ऊपर जुल्‍म करता आ रहा है। जवानों की तैनाती को बढ़ाकर और कश्‍मीर को मिली संवैधानिक स्थिति को बदलकर यहां तबाही ला सकता है। इसमें लिखा गया है कि कश्‍मीर के युवा भारत के जुल्‍मों के खिलाफ अपनी जिंदगी को यहां की आजादी के लिए कुर्बान कर रहे हैं। पीएम मोदी और उनके साथियों के पीछे हटने और कश्‍मीरियों और पाकिस्‍तान से बात करने का अब भी वक्‍त है। समझदारी यही कहती है कि भारत को इस वक्‍त टकराव का रास्‍ता छोड़कर बातचीत और शांति की तरफ आगे बढ़ना चाहिए।

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