इस साल के अंत तक दिखने लगेगी नए भारत की तस्वीरः रविशंकर प्रसाद

बातचीत में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो लोग प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का विरोध कर रहे हैं वे राजनीति में हाशिये पर जाने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Mon, 09 Jan 2017 08:58 PM (IST) Updated:Tue, 10 Jan 2017 02:59 AM (IST)
इस साल के अंत तक दिखने लगेगी नए भारत की तस्वीरः रविशंकर प्रसाद

साक्षात्कार : रविशंकर प्रसाद

नोटबंदी को लेकर भले ही तमाम तरह के सवाल उठ रहे हों, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद मानते हैं कि यह भारत के बदलाव का बहुत बड़ा माध्यम बनेगा। उनका मानना है कि इस बदले हुए भारत की तस्वीर साल 2017 के अंत तक दिखने लगेगी। देश में आ रहे इस बदलाव को लेकर प्रसाद ने दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख नितिन प्रधान से विस्तृत बातचीत की। बातचीत में प्रसाद ने कहा कि जो लोग प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का विरोध कर रहे हैं वे राजनीति में हाशिये पर जाने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश :-

नोटबंदी के असर को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं। आप इसे किस तरह बड़े बदलाव का जरिया मानते हैं?

-देखिए अगर मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम भारत के लिए बड़े बदलाव का जरिया बनेगा तो उसके पीछे ठोस वजह और तर्क हैं। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे बदलते भारत की तस्वीर नहीं देख पा रहे हैं। आप जानते ही हैं कि तकनीक के स्तर पर भारत कितना आगे बढ़ चुका है। आज की तारीख में भारत में 105 करोड़ मोबाइल फोन हैं। करीब 110 करोड़ लोगों के पास आधार है। 50 करोड़ लोगों तक इंटरनेट की पहुंच है और देश में 35 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये सब भारत के बदलते हुए टेक्नोलॉजी की तस्वीर को पेश करते हैं।

ये सब भारत के बदलते हुए टेक्नोलॉजी की तस्वीर को पेश करते हैं। कौन नहीं जानता कि फेसबुक और वाट्सएप का विस्तार भारत में सबसे ज्यादा तेज रफ्तार से हुआ। इसी बदलाव और टेक्नोलॉजी की तरफ भारतीयों के बढ़ते प्रेम को मोदी जी ने पहचाना है।

इसके बावजूद राजनीतिक दलों की तरफ से लगातार विरोध दर्ज कराया जा रहा है?

-यह विरोध उन लोगों की तरफ से हो रहा है जो देश में हो रहे इस बदलाव को नहीं देख पा रहे हैं। मेरा मानना है कि कुशल राजनेता वही है जो परिवर्तन के प्रवाह को समझता है। आपातकाल से पहले जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तानाशाही भरे फैसले ले रही थीं तो बहुत से लोग उसमें प्रगतिशीलता देखते थे। लेकिन बाद में वही लोग राजनीति में हाशिये पर चले गए। देश को ईमानदार बनाने की प्रधानमंत्री मोदी की इस कोशिश का जो कांग्रेसी, केजरीवाल और बाकी लोग विरोध कर रहे हैं, वो खुद को हाशिये पर ले जाने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि इस फैसले के बाद जितना कालाधन सरकार को प्राप्त होगा उसका इस्तेमाल गरीबों के कल्याण में होगा। ऐसी घोषणाओं का मजाक बनाकर ये राजनेता जनता के साथ धोखा कर रहे हैं।

बदलाव की इस कोशिश में जनता के लिए क्या संदेश है?

-देखिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर भारत की जनता ने जो उत्साह दिखाया है उसे प्रधानमंत्री ने पहचाना है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पारदर्शिता लाता है। इसीलिए हम कहते हैं कि यह भारत को ईमानदार बनाने की बड़ी कोशिश है। नोटबंदी के फैसले के बाद अपने प्रत्येक संबोधन में प्रधानमंत्री ने इसे ईमानदारी से जोड़ा है और इसके लिए प्रतीक भी वही इस्तेमाल किये हैं जो ईमानदारी से जुड़े हैं। मेरा मानना है कि जिस नेता के नाम के साथ भ्रष्टाचार शब्द जुड़ा है वो देश की राजनीति में बहुत लंबे समय तक नहीं चल पाया। इसकी वजह यह है कि हमारे देश की परंपरा गांधी की है, जेपी की है। इसीलिए प्रधानमंत्री ने 31 दिसंबर को दिए राष्ट्र के नाम संबोधन में जानबूझकर महात्मा गांधी, अंबडेकर, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कामराज और दीनदयाल उपाध्याय का नाम लिया। इन सबमें एक ही समानता है और वह है ईमानदारी।

नोटबंदी के बाद टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर जो घोषणाएं हुईं और आपके मंत्रालय ने कैशलेस समाज के निर्माण की दिशा में जो कदम बढ़ाए हैं वे आगे किस प्रकार जारी रहेंगे?

-सरकार ने इस दिशा में जो कदम आगे बढ़ाया है वो एकदम जारी रहेगा। प्रधानमंत्री के निर्देश के मुताबिक हम नीति आयोग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। अभी आधार आधारित भुगतान व्यवस्था को देश में लागू करना है। आधार ने जिस तरह से भारत का दुनिया में तकनीकी परचम लहराया है उसके बाद आधार आधारित भुगतान व्यवस्था भी दुनिया को टेक्नोलॉजी के मामले में एक बहुत बड़ा गिफ्ट होगा। जल्दी ही सरकार आधार आधारित भुगतान व्यवस्था को लागू करने की घोषणा करेगी। वैसे भी पूरा देश इस बदलाव को महसूस कर रहा है।

कॉमन सर्विस सेंटर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इन सेंटरों ने देश के ग्रामीण इलाकों में लोगों को टेक्नोलॉजी का पाठ पढ़ाने में अहम भूमिका अदा की है। देश के आइटी मंत्री के रुप में मैं देश में हो रहे इस बदलाव को जमीन पर देख रहा हूं। और टेक्नोलॉजी का यह इस्तेमाल देश के टैक्स आधार को भी विस्तार देगा। इसके संकेत भी अब दिखने शुरू हो गए हैं।

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