तौलिए चोरी होने से तंग रेलवे अब मुसाफिरों को देगा ईको फ्रेंडली नैपकिन

ट्रेनों में तौलिए चोरी होने से परेशान रेलवे अब अपने यात्रियों को पर्यावरण फ्रेंडली डिस्पोजेबल नैपकिन देने की तैयारी कर रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 27 Dec 2018 10:17 AM (IST) Updated:Thu, 27 Dec 2018 10:18 AM (IST)
तौलिए चोरी होने से तंग रेलवे अब मुसाफिरों को देगा ईको फ्रेंडली नैपकिन
तौलिए चोरी होने से तंग रेलवे अब मुसाफिरों को देगा ईको फ्रेंडली नैपकिन

भोपाल, हरिचरण यादव। ट्रेनों में तौलिए चोरी होने से परेशान रेलवे अब अपने यात्रियों को पर्यावरण फ्रेंडली डिस्पोजेबल नैपकिन देने की तैयारी कर रहा है। ये नैपकिन एक बार उपयोग होंगे। खुले में फेंकने पर ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। क्योंकि ये बायोडिग्रेडेबल होंगे। यानी पूरी तरह पर्यावरण फ्रेंडली होंगे। अभी ट्रेनों के एसी कोचों में सफर करने वाले यात्रियों को रेलवे द्वारा बेडशीट, कंबल के साथ तौलिए दिए जाते हैं। रेलवे एक यात्री के लिए एक तौलिए देता है। यात्री सफर के दौरान इन तौलियों का उपयोग करते हैं। बाद में रेलवे की गिनती में ये तौलिए कम निकलते हैं, रेलवे का तर्क है कि तौलिए चोरी हो जाते हैं।

अभी हबीबगंज से हजरत निजामुद्दीन के बीच चलने वाली भोपाल एक्सप्रेस के एसी-1 और एसी-2 में यात्रियों को तौलिए मिलते हैं। अकेले भोपाल एक्सप्रेस में से सालाना 250 से लेकर 300 तौलिए चोरी हो जाते हैं। इसके पहले सालाना 800 से 1000 तौलिए चोरी होते थे। यही स्थिति देशभर में चलने वाली राजधानी, शताब्दी, दुरंतो एक्सप्रेस और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में रहती है।

इस समस्या को देखते हुए शनिवार भोपाल पहुंचे रेलवे बोर्ड के एडीशनल मेंबर (मैकेनिकल) अनिल अग्रवाल ने हबीबगंज डिपो में कहा कि अब ट्रेनों में यात्रियों को नैपकिन देना चाहिए। भोपाल एक्सप्रेस में भी उन्होंने तौलिए की जगह डिस्पोजल नैपकिन देने की बात कही है।

ये होंगे डिस्पोजल नैपकिन के फायदे

चोरी होने की चिंता नहीं होगी। क्योंकि एक बार उपयोग करने के बाद ये दोबारा उपयोग करने योग्य नहीं बचेगी।  तौलिए की तरह धुलाई की चिंता नहीं होगी। अभी तौलिए को धुलना पड़ता है। एक बार में तौलिए को धुलने में 2 से 3 रुपए का खर्च आता है। जबकि डिस्पोजल नैपकिन की कीमत 2 से ढाई रुपए की होती है। ऐसे में नैपकिन ही ज्यादा ठीक हो सकते हैं।  कई बार तौलिए ठीक से साफ नहीं होते, इसके कारण यात्रियों को उपयोग करने में संकोच होता है। नैपकिन के साथ यह स्थिति नहीं होगी। ज्यादातर यात्री पुराने तौलिए का उपयोग करना ठीक नहीं समझते। ऐसे यात्री खुद साथ में तौलिए लेकर सफर करते हैं। इन यात्रियों को आशंका रहती है कि किसी दूसरे के द्वारा उपयोग किए गए तौलिए को ठीक से धोया नहीं होगा। कई बार तो रेलवे को तौलिए से बदबू तक आने की शिकायत मिल चुकी है। तौलिए चोरी होने पर संबंधित ट्रेन में चलने वाले अटेंडर के वेतन से उसकी कीमत वसूली जाती है, इसके कारण उन्हें नुकसान होता है। नैपकिन देने से यह समस्या खत्म हो जाएगी।

ये हो सकती है दिक्कत

अभी एक यात्री को एक तौलिए दिए जाते हैं, जिसका वह सफर के दौरान कई बार उपयोग करता है। लेकिन नैपकिन का एक बार ही उपयोग किया जा सकता है। ऐसे में एक यात्री को एक से अधिक नैपकिन देने होंगे।

यात्रियों से लिया जाएगा फीडबैक

रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की माने तो तौलिए की जगह नैपकिन देने के बाद रेलवे यात्रियों से फीडबैक लेगा। फीडबैक में यात्रियों ने नैपकिन को उचित बताया तो ही नैपकिन देने वाली व्यवस्था को स्थाई रूप से लागू किया जाएगा। 

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