रेलवे के फीडबैक सर्वे में दिलचस्प जवाब, नेताओं को ना दें मुफ्त कूपन

रेलवे के एक सर्वे में खर्च की अधिकता का मुख्‍य कारण नेताओं की मुफ्त ट्रेन यात्रा बतायी गयी और इसे खत्‍म करने का सुझाव दिया गया।

By Monika minalEdited By: Publish:Tue, 23 Aug 2016 01:43 PM (IST) Updated:Tue, 23 Aug 2016 02:00 PM (IST)
रेलवे के फीडबैक सर्वे में दिलचस्प जवाब, नेताओं को ना दें मुफ्त कूपन

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने हाल में ही फीडबैक सर्वे किया जिसमें खर्च को कम करने के तरीके के बारे पूछा गया, इस फीडबैक के जवाब ने मंत्रालय के अधिकारियों को हैरान कर दिया। क्योंकि इस फीडबैक में नेताओं की मुफ्त यात्रा को खत्म करने की बात कही गयी।

सातवें वेतन आयोग के सुझावों के तहत मंत्रालय के इन बाबूओं के वेतन में जो इजाफा हुआ उसपर जोर देते हुए फीडबैक में लोगों ने रेलवे को यही सुझाव दिया कि वेतन में इजाफे को देखते हुए उन्हें रेलवे की ओर से मिलने वाली मुफ्त यात्रा और किराए में छूट को खत्म कर देना चाहिए।

पब्लिक फीडबैक लेने वाले अधिकारियों ने मेल टूडे के बताया कि मिलने वाले जवाब के अनुसार, खर्च में इजाफे का मुख्य कारण यही है। रेलवे की ओर से वरिष्ठ नागरिकों को किराये में रियायत दी जाती है और सभी एमपी, एमएलए व अपने कर्मचारियों को मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाती है।

रेलवे यात्रियों को उनके यात्राओं पर 43 फीसद सब्सिडी भी दी जाती है। वर्ष 2015-16 के दौरान रेलवे ने सामाजिक सेवा पर 34,000 करोड़ खर्च किया। जिसमें से 1,600 करोड़ विभिन्न छूटों के साथ मुफ्त यात्राओं पर की गयी।

सूत्रों के अनुसार, रेलवे प्रोजेक्ट के समय पर पूरा होने पर भी लोगों ने जोर दिया। प्रोजेक्ट में देरी की वजह से रेलवे पर वित्तीय बोझ होता है। बजट आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई सालों से 400 रेल प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं जिसके कारण भी नुकसान हुआ है।

फीडबैक देने वाले कुछ लोगों के अनुसार रेलवे की खराब वित्तीय हालत उनके कर्मचारियों के कार्यव्यवहार्यता की वजह से भी है। उन्होंने सुझाव दिया कि रेलवे को अपने आलसी कर्मचारियों की जगह युवा कर्मचारियों को लाना चाहिए। ट्रेन में होने वाली देरी भी बड़ा कारण है।

रेलवे स्टेशनों को निजी कंपनियों के साथ मिलकर पुन:विकसित करने की योजना को लोगों ने सराहा। इसके अलावा रेलवे के बेकार पड़े जमीनों के बारे में भी सुझाव दिए गए कि रेलवे उनका उपयोग करे। भारतीय रेलवे के पास करीब 43,000 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है।

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