10 लाख रुपये में मान गयी ‘रेप’ पीड़िता, केस का हुआ निपटारा
बांबे हाइकोर्ट ने मंगलवार को 30 वर्षीय पुणे निवासी से 10 लाख रुपये लेकर शिकायतकर्ता की सहमति से केस को निबटा दिया। यह रकम सात माह की गर्भवती के लिए अदा की गयी।
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को पहले से विवाहित 30 वर्षीय शख्स के खिलाफ 7 महीने की गर्भवती रेप पीड़िता को 10 लाख रुपये देने के समझौते पर केस रद्द कर दिया।
जस्टिस अभय ओका और अमजद सैयद के डिविजन बेंच ने इस मामले की विशेष परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पीड़िता गीता पाटिल (बदला हुआ नाम) ने आरोपी समीर शिंदे (बदला हुआ नाम) के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रोकने के लिए कोर्ट में सहमति दी थी। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चला है कि दोनों आपसी सहमति से रिलेशनशिप में थे। कोर्ट ने आदेश दिया कि रकम को एक राष्ट्रीयकृत बैंक में 10 साल के लिए जमा कराया जाए। रकम पर अर्जित ब्याज पाड़िता को दिया जाएगा। समय अवधि समाप्त होने पर वह रकम को निकाल सकती है।
6 जून 2016 को गीता ने समीर पर रेप के आरोप के लिए बंद गार्डन पुलिस में मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आइपीसी की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया था। एफआइआर में कहा गया कि समीर ने गीता के साथ शादी का झांसा देकर रेप किया।
बाद में समीर ने एफआइआर हटाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। समीर के वकील राकेश भटकर ने बताया कि गीता के बयानों से पता चलता है कि दोनों आपसी सहमति से रिलेशनशिप में थे। गीता ने अपने वकील सचिन चंदन के साथ कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया। हलफनामे में कहा गया है कि एफआइआर गलतफहमी का परिणाम था।
गीता ने कहा कि कई दिनों से उसका समीर से संपर्क नहीं हो रहा था। इसलिए उसने पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। वह जानती थी कि समीर शादीशुदा है। गीता ने हाई कोर्ट में कहा कि समीर के खिलाफ मामला रद्द होने से उसे किसी तरह की परेशानी नहीं। समीर भी 10 लाख रुपये जमा कराने के लिए राजी हो गया। इसके साथ ही उसने गीता के बच्चे की देख-रेख के लिए भी हामी भर दी। शुरुआती सुनवाई में समीर ने पैसों की पहली किस्त के रूप में 5 लाख रुपये जमा करा दिए हैं।
आगरा में वहशी पिता की दरिंदगी से बेटी हुई गर्भवती
...तो इस बात पर कर दी महिला की हत्या, टुकड़े-टुकड़े कर फेंका शव