आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह ने कहा- राजनीति से प्रेरित है यह केस

मुलायम सिंह ने अर्जी का विरोध करते हुए हलफनामे मे कहा है कि वह और उनका परिवार सार्वजनिक जीवन मे और राजनीति में है। परिवार सदस्य केन्द्र व राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 11 Apr 2019 10:51 PM (IST) Updated:Thu, 11 Apr 2019 10:51 PM (IST)
आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह ने कहा- राजनीति से प्रेरित है यह केस
आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह ने कहा- राजनीति से प्रेरित है यह केस

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके खिलाफ दाखिल की गई अर्जी राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता ने गलत मंशा से चुनाव के ठीक पहले उनके खिलाफ अर्जी दाखिल की है। सीबीआइ कोर्ट के आदेश पर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उनके और परिवार के सदस्यों खिलाफ जांच कर चुकी है और उस जांच में सीबीआइ को कुछ भी नहीं मिला। मुलायम सिंह ने ये बातें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने ताजा हलफनामे में कहा हैं। कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

गत 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीबीआइ से मुलायम सिंह यादव व उनके पुत्र अखिलेश तथा प्रतीक यादव के खिलाफ हुई जांच की रिपोर्ट पेश करने की मांग पर जवाब मांगा था।

मुलायम सिंह ने अर्जी का विरोध करते हुए हलफनामे मे कहा है कि वह और उनका परिवार सार्वजनिक जीवन मे और राजनीति में है। वह स्वयं और परिवार के अन्य सदस्य केन्द्र व राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। अर्जीकर्ता स्वयं भी राजनैतिक व्यक्ति है और चुनाव लड़ चुका है। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह अर्जी गलत मंशा से उनकी छवि खराब के लिए दाखिल की है। सिंह ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का मुख्य आदेश उनके और उनके परिवार पर लगाए गए आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपों की प्रारंभिक जांच का था। और उस आदेश पर सीबीआई ने पीई दर्ज करके प्रारंभिक जांच की जिसमें सीबीआइ को उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला।

मुलायम ने कहा है कि पीई दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने पहली स्टेटस रिपोर्ट 30 जुलाई 2007 को दी थी जिसमें कहा गया था कि मुलायम सिंह के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। इसके बाद शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए अतिरिक्त आरोपों पर सीबीआइ ने 28 अगस्त 2007 को दूसरी स्थिति रिपोर्ट दी जिसमें फिर कहा कि प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता। फिर 26 अक्टूबर 2007 को सीबीआइ ने तीसरी रिपोर्ट दाखिल की उस रिपोर्ट में सीबीआइ ने बिना किसी कानूनी आधार के जांची गई अवधि का प्रोजेक्ट एक्सपेन्डिचर 21541523 से बढ़ा कर 44562436 कर दिया।

उस रिपोर्ट में सीबीआइ ने कहा कि उनके खिलाफ 26306498 की आय से अधिक संपत्ति है। सिंह का कहना है कि चतुर्वेदी ने अपनी अर्जी मे सिर्फ सीबीआइ की 26 अक्टूबर 2007 की स्थिति रिपोर्ट को आधार बनाया है और वही रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है। उन्होंने पहले की दो रिपोर्ट नहीं दी हैं। कोर्ट से तथ्य छिपाए हैं। सिंह का कहना है कि तीन रिपोर्ट में अंतर होने के कारण सीबीआई अधिकारी ने एक एनालेसिस रिपोर्ट दी थी जिसमें फिर कहा गया कि आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता।

मुलायम का कहना है कि कानून के मुताबिक जब प्रारंभिक जांच में मामला बनता है तभी नियमित केस दर्ज होता है। जब प्रारंभिक मामला नहीं बनता तो फिर जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का सवाल कहां उठता है। कोर्ट ने कभी भी नियमित केस दर्ज करने का आदेश नहीं दिया था। वैसे भी कोर्ट ने उनकी रिव्यू खारिज करते हुए सीबीआइ को स्वतंत्र होकर कानून के मुताबिक निर्णय लेने को कहा था।

उधर अर्जीकर्ता चतुर्वेदी का कहना है कि मुलायम जिन दो पूर्व रिपोर्ट का हवाला दे रहे हैं उसे सीबीआई 2009 में कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर फर्जी बता चुकी है। हालांकि सीबीआई ने अभी ताजा कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया है।

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