लापरवाही की भेंट चढ़ा देश को 'फौलादी' बनाने वाला स्टील प्लांट, जानिए क्यों गिरा उत्पादन

हाल में ही स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भिलाई स्टील प्लांट पहुंचे थे और जरूरी संसाधनों के लिए एक बड़ा पैकेज देकर आए थे, लेकिन नतीजा फिलहाल सिफर ही है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 07:31 PM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 07:31 PM (IST)
लापरवाही की भेंट चढ़ा देश को 'फौलादी' बनाने वाला स्टील प्लांट, जानिए क्यों गिरा उत्पादन
लापरवाही की भेंट चढ़ा देश को 'फौलादी' बनाने वाला स्टील प्लांट, जानिए क्यों गिरा उत्पादन

अजमत अली, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के आधुनिकीकरण के लिए यूपीए सरकार के कार्यकाल में 18 हजार करोड़ रुपये की योजना बनी, 2007 से शुरू हुई, लेकिन अब तक पूरी नहीं की जा सकी। नतीजा, प्लांट का उत्पादन लगातार गिरता गया। इस वर्ष भी हालात बदतर हैं। हाल में ही स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भिलाई स्टील प्लांट पहुंचे थे और जरूरी संसाधनों के लिए एक बड़ा पैकेज देकर आए थे, लेकिन नतीजा फिलहाल सिफर ही है।

सुनहरे दौर से बदतर हाल तक
1957 में रूस की मदद से स्थापित भिलाई स्टील प्लांट ने आजादी के बाद देश को आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दिया। स्वतंत्र भारत के विकास में हर क्षेत्र को इससे मिले फौलादी इस्पात ने मजबूती दी। देश के हर हिस्से से पहुंचे लाखों श्रमिक परिवारों ने लौह नगरी को घर बनाया और देश की मजबूती में हाथ बढ़ाया।

क्यों बरती गई लापरवाही
समय पर धमन भट्ठीयों (फर्नेस) की मरम्मत न होने से उत्पादन लगातार घटता रहा है। मशीनें पुरानी हो चुकी हैं, स्ट्रक्चर जर्जर और प्लांट बूढ़ा हो गया है। समय के साथ जिस अंतराल में रखरखाव होना चाहिए, नहीं किया गया। यह गंभीर जांच का विषय है कि लापरवाही क्यों की गई।

निजीकरण को बल
महारत्न उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की इकाइयों के लगातार घटते उत्पादन और घाटे ने इनके निजीकरण को ही बल दिया है। तीन इकाइयां इस ओर बढ़ चुकी हैं। क्या अगला नंबर भिलाई स्टील प्लांट का है।

इस बार फिर फिसड्डी
सेल की सभी इकाइयों में भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) का प्रदर्शन सबसे खराब बताया जा रहा है। सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि आधा वित्तीय वर्ष खत्म होने को है लेकिन उत्पादन लुढ़क चुका है और अब प्लांट का इसमें आगे हो पाना मुश्किल है। यहां कभी प्रतिदिन 16 हजार टन से ज्यादा इस्पात तैयार होता था, आठ हजार तक लुढ़कने के बाद बमुश्किल 11 हजार पर पहुंचा है।

14 साल से नहीं हुआ रखरखाव
अधिकारी बताते हैं कि भिलाई प्लांट की कई धमन भट्ठीयों की समुचित मरम्मत अंतिम बार वर्ष 2004 में की गई थी। इसके बाद कामचलाऊ मरम्मत करके उत्पादन जारी रखा गया। ब्लास्ट फर्नेस 1, 4, 7 व 5 में आये दिन कुछ न कुछ दिक्कतें होती रहीं। इस साल की सबसे बड़ी घटना फरवरी में ब्लास्ट फर्नेस-2 में हुई थी। भट्ठी की दीवार फटने से पिघला हुआ लोहा सड़क तक बहा था। इसी तरह सितंबर माह में फर्नेस-7 में घटना हुई। हॉट मेटल ओवरफ्लो होकर हाइड्रोलिक केबिन तक पहुंचा। इससे केबिन का सारा सिस्टम खाक हो गया। भट्ठी के फटने से निकला पिघला लोहा रेल पांतों पर जम गया।

दुनिया के अत्याधुनिक फर्नेस का हाल
दुनिया के सबसे आधुनिक ब्लास्ट फर्नेस-8 को इसी फरवरी में यहां चालू किया गया। इसकी क्षमता 8400 टन हॉट मेटल रोज बनाने की है, लेकिन यह भी बमुश्किल चार हजार के आंकड़े को पार कर पाता है। इसमें भी अक्सर कोई न कोई खामी आ जाती है।

कहां गए 18 हजार करोड़ रुपये 
-2007 में प्लांट के आधुनिकीकरण-विस्तारीकरण के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत हुई।
- शेड्यूल बनता रहा लेकिन अमल नहीं किया गया, महीनों फाइल अटकी रही।
- दस-दस साल तक समुचित रखरखाव न होने से मशीनें और भट्ठीयां चौपट हुईं।
- इस्पात भवन के अफसरों का दावा है कि पूर्व प्रबंधन की सुस्ती से पूरा सिस्टम ध्वस्त हुआ।
- अधिक उत्पादन के दबाव में मेंटेनेंस के लिए समय ही नहीं मिला।
- अकुशल श्रमिकों को काम पर लगाने से मशीनें खराब हुईं और हादसे होते रहे।
-2015 से अब तक 25 श्रमिक जान गंवा चुके हैं। इस साल चार मौतें।

लगे भ्रष्टाचार के आरोप 
सेल के स्वतंत्र निदेशक डॉ. रमन सिंह ने भिलाई स्टील प्लांट के विस्तारीकरण-आधुनिकीकरण के लिए स्वीकृत 18 हजार करोड़ रुपये की रकम में बंदरबाट का आरोप लगाया था। अफसरों व नेताओं पर आरोप लगे थे।

कोई गंभीर जांच नहीं हुई

'कुछ धमन भट्टियों की कैपिटल रिपेयर चल रही है। भट्टियों की जांच-पड़ताल में कोई कोताही नहीं बरती जाती। स्टैंडर्ड मेंटेनेंस प्रैक्टिसेस का पालन किया जाता है।'

-एपी श्रीवास्तव, महाप्रबंधक अनुरक्षण-धमन भट्टी

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