तीसहजारी कोर्ट: वकील ही नहीं जज भी हैं कूड़े से परेशान

क्षेत्रफल के हिसाब से एशिया के सबसे बड़े (25 एकड़) और 125 साल पुराने तीसहजारी कोर्ट में सफाई, बिजली और पानी की समस्या इस कदर है कि लोग ही नहीं, वकील और जज भी परेशान हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 25 Jun 2014 07:55 PM (IST) Updated:Wed, 25 Jun 2014 07:55 PM (IST)
तीसहजारी कोर्ट: वकील ही नहीं जज भी हैं कूड़े से परेशान

नई दिल्ली [पवन कुमार]। जिला एवं सत्र न्यायाधीश का रिकार्ड रूम, फाइलें नहीं बल्कि कूड़े-कचरे का ढेर और भिनभिनाती मक्खियां। जगह-जगह वाटर कूलर, लेकिन इनमें पीने का पानी नहीं। किसी में पानी है भी तो इतनी गंदगी कि उसे देखकर ही प्यास मर जाए। शौचालयों में पानी नहीं, लेकिन छत से पानी टपकता है। गंदगी ऐसी कि स्वस्थ आदमी बीमार हो जाए। यह हाल है क्षेत्रफल के हिसाब से एशिया के सबसे बड़े (25 एकड़) और 125 साल पुराने तीसहजारी कोर्ट का। यहां सफाई, बिजली और पानी की समस्या इस कदर है कि लोग ही नहीं, वकील और जज भी परेशान हैं। दैनिक जागरण टीम ने उक्त जगहों की पड़ताल करने के साथ समस्याओं को लेकर वकीलों व बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बातचीत की।

जिला जज के रिकार्ड रूम में डाला जाता है कूड़ा

तीसहजारी कोर्ट परिसर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अन्य जजों के लिए केस की फाइलें रखने के लिए कमरे बनवाए गए थे। लेकिन उनका इस्तेमाल फाइलों को रखने के लिए नहीं हो रहा। वहां जजों की कारें खड़ी होती हैं और कमरों में कूड़ा-कचरा डाला जाता है। कई बार कोर्ट प्रशासन व बार एसोसिएशन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। यदि इन कमरों का सदुपयोग किया जाए तो कोर्ट के कार्य के लिए अतिरिक्त जगह मिलेगी।

-मुकेश कुमार, अधिवक्ता

पीने का पानी नहीं

तीसहजारी कोर्ट में रोजाना दो लाख से अधिक लोग आते हैं। यहां पेयजल की गंभीर समस्या है। कई वाटर कूलर और प्याऊ में पीने का पानी नहीं है। कुछ में है तो वहां इतनी गंदगी है कि पानी पीने का मन नहीं करता। मजबूरी में लोग बोतलबंद पानी खरीदते हैं।

-बनमाली शुक्ला, अधिवक्ता

सफाई कर्मचारी आते ही नहीं

कोर्ट परिसर में जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हैं। अदालत कक्ष के बाहर, गैलरी में, वकीलों के चैंबरों के बाहर, पार्किंग और पार्को में गंदगी की भरमार है। सफाई व्यवस्था का जिम्मा नगर निगम का है, लेकिन निगम कर्मचारी सफाई कार्य को लेकर गंभीर नहीं हैं।

-जावेद खान, अधिवक्ता

शौचालयों में नहीं है पानी

कोर्ट परिसर में शौचालयों में न तो सफाई की व्यवस्था है और न ही पानी की। शौचालयों में छतें जर्जर हैं। छतों से पानी टपकता है, लेकिन नलों में पानी नहीं आता है।

-मंजू गुप्ता, अधिवक्ता

कोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जा

तीसहजारी कोर्ट 25 एकड़ क्षेत्र में है। कोर्ट की जमीन पर जजों के यहां काम करने वाले कर्मचारियों की झुग्गियां हैं। इससे अच्छी-खासी जमीन अतिक्रमण का शिकार है।

मुलाकात कक्ष में नहीं है पंखा

कैदियों से मुलाकात करने आने वाले लोगों के लिए बनाए गए कक्ष में न तो पंखा है और न ही पीने का पानी। गर्मी में यहां बैठना मुश्किल हो जाता है। इसके आस-पास हरियाली के लिए रखे गए गमलों में कंक्रीट भरा है।

जल्द दूर होंगी समस्याएं

कोर्ट परिसर में पीने के पानी की गंभीर समस्या है। दिल्ली जल बोर्ड पानी की सप्लाई कम करता है। यहां दो सबमर्सिबल हैं, लेकिन पानी कम पड़ जाता है। कोर्ट प्रशासन से दो नए सबमर्सिबल लगाने के लिए कहा है। इस संबंध में कार्रवाई जल्द शुरू होने की उम्मीद है। सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नगर निगम अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। जजों के लिए बनाए गए रिकार्ड रूम में कूड़ा डाले जाने संबंधी मामले की चर्चा भी कोर्ट प्रशासन से की जाएगी। कोर्ट परिसर से झुग्गियां हटाने और बिजली समस्या पर कोर्ट प्रशासन से बात की है। इसका समाधान एक महीने के अंदर होने की उम्मीद है।

-संजीव नसियार, अधिवक्ता, अध्यक्ष दिल्ली बार एसोसिएशन

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