अब राहुल और प्रियंका चलाएंगे कांग्रेस

हार की हताशा से गुजर रही कांग्रेस में 'राहुल युग' का आरंभ होने वाला है। इसके साथ ही वर्ष 2004 में पार्टी की सत्ता में पुनर्वापसी कराने वाली कांग्रेस की सबसे सफलतम अध्यक्ष सोनिया गांधी की कांग्रेस से राहुल की कांग्रेस में बदल रही पार्टी का सफर पूरा हो जाएगा। विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले

By Edited By: Publish:Tue, 05 Aug 2014 06:08 AM (IST) Updated:Tue, 05 Aug 2014 01:03 AM (IST)
अब राहुल और प्रियंका चलाएंगे कांग्रेस

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हार की हताशा से गुजर रही कांग्रेस में 'राहुल युग' का आरंभ होने वाला है। इसके साथ ही वर्ष 2004 में पार्टी की सत्ता में पुनर्वापसी कराने वाली कांग्रेस की सबसे सफलतम अध्यक्ष सोनिया गांधी की कांग्रेस से राहुल की कांग्रेस में बदल रही पार्टी का सफर पूरा हो जाएगा।

विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले इस परिवर्तन में अब तक सक्रिय राजनीति में बेहद सीमित भूमिका निभा रही और पार्टी का 'ट्रंप कार्ड' मानी जा रही प्रियंका गांधी वाड्रा की राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका का खाका भी खींचा जा चुका है। उन्हें महासचिव बनाने की तैयारी है।

लोकसभा चुनावों में हुई शर्मनाक हार व कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर उठ रहे सवालों के बीच पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत मिले हैं। पार्टी की कार्यसंस्कृति का अनुभव देने के लिए कांग्रेस संविधान में संशोधन के बाद उपाध्यक्ष बने राहुल अब पार्टी में और बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं।

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपने का फैसला किया है। हालांकि, अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी सोनिया नेपथ्य से पार्टी के संचालन में अहम भूमिका निभाती रहेंगी। इसके लिए कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यसमिति में किसी नए पद का सृजन भी किया जा सकता है। प्रियंका गांधी पार्टी महासचिव के रूप में संगठन की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं।

दरअसल, राहुल की राजनीतिक कार्यशैली व कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क स्थापित कर पाने में उनकी असफलता को देखते हुए पार्टी ने प्रियंका को राजनीति में उतार कर अपना 'आखिरी दांव' खेलने का फैसला किया है। पार्टी को उम्मीद है कि राहुल की अलहदा राजनीतिक समझ और प्रियंका का कार्यकर्ताओं से सहज संवाद पार्टी को नया जीवन दे सकता है। प्रियंका पार्टी महासचिव के रूप में संगठन की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं।

लोकसभा चुनावों में हुई हार के बाद से देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ता प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग कर रहे हैं। राहुल की राजनीतिक कार्यशैली व उनकी टीम को लेकर पार्टी में बढ़ता विरोध भी नेतृत्व से छिपा नही है। ऐसे में राहुल को अध्यक्ष और प्रियंका को संगठन की जिम्मेदारी देकर पार्टी का प्रयास दोनों मोर्चो पर सफलता पाने का है। हालांकि, परिवारवाद के आरोपों से घिरी कांग्रेस के लिए मौजूदा राजनीतिक माहौल में यह निर्णय लेना मुश्किल जरूर है, लेकिन पार्टी का मानना है कि सोनिया के पद छोड़ने के बाद इस सवाल की धार खुद ब खुद कुंद हो जाएगी। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी में लगातार 16 वर्षो से अध्यक्ष पद पर रहने वाली सोनिया गांधी के कार्यकाल के दौरान पार्टी ने सफलतम समय देखा। विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों व गिरते स्वास्थ्य के बावजूद लगातार दो आम चुनावों में पार्टी को सत्ता दिलाने में कामयाब रहीं सोनिया गांधी, कांग्रेस पार्टी की सबसे बुरी पराजय की साक्षी भी बनी।

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