मोदी सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन बोले- कोरोना वैक्सीन की ट्रायल प्रक्रिया से कोई समझौता नहीं

मोदी सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन की कठोर ट्रायल प्रक्रिया के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 09:52 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 10:39 AM (IST)
मोदी सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन बोले- कोरोना वैक्सीन की ट्रायल प्रक्रिया से कोई समझौता नहीं
मोदी सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन बोले- कोरोना वैक्सीन की ट्रायल प्रक्रिया से कोई समझौता नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वैक्सीन की कठोर ट्रायल प्रक्रिया के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में वेबिनार को संबोधित करते हुए विजय राघवन ने कहा कि किसी भी वैक्सीन के पहले चरण की जांच में सामान्य तौर पर 28 दिन लगते हैं। उसके बाद दो चरणों की जांच और होती है। भारत के दवा नियंत्रक ने भारत बायोटेक के साथ ही जायडस कैडिला की वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति दी है।

राघवन ने कहा कि जैसा कि आइसीएमआर ने स्पष्ट किया है, भारत बायोटेक या जायडस कैडिला वैक्सीन को कठोर ट्रायल प्रक्रिया से गुजरना होगा, इसके साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। देश में 15 अगस्त तक वैक्सीन लांच करने के उद्देश्य से आइसीएमआर ने इसके लिए चुने गए संस्थानों को पत्र लिखकर जांच प्रक्रिया तेज करने को कहा था। आइसीएमआर, भारत बायोटेक के साथ मिलकर कोवाक्सिन नाम से वैक्सीन तैयार कर रही है। 

कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की प्रक्रिया

आइसीएमआर के पत्र के बारे में पूछे जाने पर विजय राघवन ने कहा, 'आज 10 जुलाई है और मैं बताना चाहूंगा कि पहले चरण का ट्रायल आज शुरू हुआ है। यह ट्रायल सभी 12 संस्थानों में एक साथ शुरू हुआ है।'उन्होंने कहा, 'पहले चरण में एक इंजेक्शन लगता है। उसके सात दिन बाद दूसरा इंजेक्शन लगता है और उसके 14 दिन बाद उसका परीक्षण किया जाता है। कोई फैसला लेने से पहले उनसे नतीजे का विश्लेषण किया जाता है और इस तरह 28 दिन लग जाते हैं।'

पहले चरण के बाद और दो चरण की ट्रायल प्रक्रिया होती है। इस तरह अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो तीन चरणों के ट्रायल में कई महीने लग जाते हैं।गौरतलब है कि 15 अगस्त तक वैक्सीन लाने के आइसीएमआर के दावे पर कई विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे। इसके बाद आइसीएमआर को सफाई देनी पड़ी थी। उसने कहा था कि ट्रायल प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा गया था।

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