दक्ष‍िण ए‍श‍िया को साधने में जुटा ड्रैगन, चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ पर भारत की पैनी नजर

Chinese President Xi Jinping to visit Indiaशी चिनफ‍िंग की यात्रा डायरी पर नजर दौड़ाएं तो साफ हो जाता है कि उनकी नजर दक्षिण एशियाई मुल्‍कों पर टिकी है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Thu, 10 Oct 2019 01:49 PM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2019 08:01 AM (IST)
दक्ष‍िण ए‍श‍िया को साधने में जुटा ड्रैगन, चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ पर भारत की पैनी नजर
दक्ष‍िण ए‍श‍िया को साधने में जुटा ड्रैगन, चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ पर भारत की पैनी नजर

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की Chinese President Xi Jinping to visit India यात्रा डायरी पर नजर दौड़ाएं तो साफ हो जाता है कि उनकी नजर दक्षिण एशियाई मुल्‍कों पर टिकी है। खासकर भारत, पाकिस्‍तान और नेपाल पर उनकी गहरी नजर है। उनकी इस यात्रा का मकसद चीन के व्‍यापारिक हितों को साधने के साथ-साथ दक्षिण एशिया में अपनी सामरिक स्थिति और मजबूत करना है। भारत को चीन की रणनीति को समझना होगा। भारत को अपने खिलाफ बने चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ की काट ढूंढ़नी होगी, जो दक्षिण एशिया में भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

चीन इस बात को बखूबी जानता है कि दक्षिण एशिया में दखल के लिए उसे पाकिस्‍तान और भारत को साधने की जरूरत है। चीन यह भी जानता है कि दक्षिण एशिया में प्रभुत्‍व को लेकर उसका भारतीय हितों से टकराव होना तय है। आइए जानते हैं चिनफ‍िंग की यात्रा डायरी और उनके गोपनीय एजेंडे के बारे में। 

चीन की नजर नेपाल पर टिकी 

चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग की दक्षिण एशिया की दो मुल्‍कों की यात्रा बहुत सोची-समझी रणनीति का हिस्‍सा है। राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग भारत एवं उसके बाद नेपाल की यात्रा करेंगे। भारत कई बार चीन और नेपाल की नजदीकियों पर अपना ऐतराज जता चुका है। यह विरोध बेवजह नहीं है। हाल के दिनों में चीन और नेपाल के संबंध मधुर हुए हैं। भारत सरकार के लिए यह परेशान करने वाला कदम रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजि‍मी है कि क्‍या भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रिश्‍तों पर चीन की चाल भारी पड़ रही है। नेपाल के मधेसी आंदोलन ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ाई हैं। चीन का यह कदम भारत को दक्षिण एशिया में परेशान करने की रणनीति के रूप में देखा जाता है।

चीन ने पिछले कुछ वर्षों में नेपाल, श्रीलंका, बांग्‍लादेश और मालदीव में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। चीन पाकिस्‍तान समेत सभी सार्क देशों को आर्थिक सहायता का लालच देकर इन मुल्‍कों को अपने प्रभाव क्षेत्र में लेना चाहता है। इतना ही नहीं, नेपाल में चीन ने भारी निवेश कर रखा है। यह भी नेपाल की सोची-समझी रणनीति का हिस्‍सा है।चीनी निवेश के सामने भारत की चमक फीकी पड़ रही है। लिहाजा, भारत को कूटनीतिक सुझबूझ का परिचय देने होगा।

चीन को अखरता है, दक्षिण एशिया में भारत का प्रभुत्‍व

भारत के साथ चीन का सीमा विवाद काफी गहरा है। इसके अलावा लद्दाख और नदियों के जल का विवाद भी दोनों के बीच तनाव की एक बड़ी वजह है। भारत और चीन के बीच एक युद्ध भी हो चुका है। इसके अलावा चीन-पाकिस्‍तान गठजोड़ भी भारत को अखरता रहा है। चीन हर मंच पर पाकिस्‍तान के साथ खड़ा रहता है। दक्षिण एशिया में भारत एक मजबूत स्थिति में है। भारत की सुदृढ़ स्थिति चीन को अखरती है। इसलिए चीन भारत का घेरने की कोशिश करता रहा है।

चीन और पाकिस्‍तान की गाढ़ी दोस्‍ती 

भारत और पाकिस्‍तान की दोस्‍ती जग जाहिर है। दक्षिण एशिया में चीन का पाकिस्‍तान से सबसे मधुर संबंध है। चीन भी इस दोस्‍ती का निर्वाह करता आया है। भारत-पाकिस्‍तान के द्विपक्षीय मसलों पर चीन हमेशा अपने मित्र के साथ खड़ा रहा है। उसने कई बार अंतररष्‍ट्रीय मंच पर पाक का खुलकर सहयोग और समर्थन किया है। माली हालत खराब होने के बाद चीन ने पाकिस्‍तान का खुले हाथ सहयोग किया। अभी कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 खत्‍म होने पर वह पाक के  साथ खड़ा रहा।     

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