प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की चुपके से बदल दी गई स्कीम

नई व्यवस्था की गई कि एक जून 2016 से योजना में भाग लेने वाले बीमाधारक की मौत यदि नामांकन के 45 दिनों के भीतर हो जाती है तो इंश्योरेंस कंपनियां उसे कोई क्लेम नहीं देंगी।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 09:21 AM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 09:21 AM (IST)
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की चुपके से बदल दी गई स्कीम
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की चुपके से बदल दी गई स्कीम

धर्मेन्द्र मिश्रा, सुल्तानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रत्येक व्यक्ति को कम प्रीमियम में सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने के मकसद से शुरू की गई अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की स्कीम सरकार ने चुपके से बदल दी है। इसकी जानकारी बीमाधारकों को नहीं दी गई। बैंक में भी अधिसूचना नहीं भेजी गई। जब दुर्घटना के बाद परिवारजनों के क्लेम रिजेक्ट होने लगे तो बैंक कर्मी भी हैरान रह गए। जब स्थानीय बैंक कर्मचारी ने इस बाबत सूचना के अधिकार एक्ट-2005 के तहत जानकारी मांगी तो सच्चाई सामने आ गई।

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के बाद इस बीमा योजना के तहत सबसे अधिक बीमा करने का रिकॉर्ड बनाने वाले एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस ने आरटीआइ के जवाब में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत जून 2015 में की थी। योजना के एक साल बाद एक जून 2016 से स्कीम में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया गया। जिसमें नई व्यवस्था की गई कि एक जून 2016 से योजना में भाग लेने वाले बीमाधारक की मौत यदि नामांकन के 45 दिनों के भीतर हो जाती है तो इंश्योरेंस कंपनियां उसे कोई क्लेम नहीं देंगी। जबकि योजना के आरंभ में यह शर्त नहीं थी। प्रतिवर्ष 330 रुपये के मामूली प्रीमियम पर 18 से 50 वर्ष की आयु का कोई भी व्यक्ति यह बीमा करा सकता है। किसी भी कारण से मौत होने पर इसमें नॉमिनी को दो लाख रुपये का क्लेम दिया जाता है।

एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस ने स्टेट बैंक को लिखा पत्र
आरटीआइ से मांगी सूचना में एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंस ने बताया है कि उसने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर जानाकारी दी है कि इस योजना के तहत 66.61 लाख लोगों का बीमा किया और फरवरी 2017 तक 337.46 करोड़ का क्लेम भी दिया। लेकिन, बाद में सैकड़ों क्लेम रिजेक्ट हो गए। बीमादाता कंपनी ने लिखा है कि स्कीम बदलने की सूचना न तो हमें दी गई और न ही बीमा धारकों को। इससे हमें विधिक कार्यवाही का सामना भी करना पड़ रहा है। ग्राहकों के भरोसे को कायम रखने के लिए संशोधन वापस लिया जाए।

इनका कहना है
'जयसिंहपुर की खुशबू का क्लेम जब बड़ौदा ग्रामीण बैंक से रिजेक्ट हुआ तो मैंने जून में आरटीआइ के जरिये कारण पूछा। इसकी सूचना अपील में जाने पर सितंबर के आखिरी सप्ताह में मिली। तब स्कीम बदले जाने का पता चला।'
- शिवकरन द्विवेदी, राष्ट्रीय महासचिव, नेशनल फेडरेशन ऑफ आरआरबी एंप्लाइज, सुल्तानपुर

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