पूनावाला पर राहुल ने किया जवाब-तलब

सुरेश कलमाड़ी के करीबी पूनावाला बंधुओं को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वार रूम की कमान देने का मामले में पार्टी के प्रबंधकों पर गाज गिर सकती है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के 'मुंहबोले भाई' कलमाड़ी के सहयोगियों तहसीन पूनावाला और शहजाद पूनावाला को यहां तक पहुंचाने पर राहुल गांधी ने 'दैनिक जागरण' की खबर के बाद जवाब-तलब कर लिया है।

By Edited By: Publish:Tue, 07 Feb 2012 10:22 PM (IST) Updated:Wed, 08 Feb 2012 02:46 AM (IST)
पूनावाला पर राहुल ने किया जवाब-तलब

नई दिल्ली [राजकिशोर]। सुरेश कलमाड़ी के करीबी पूनावाला बंधुओं को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वार रूम की कमान देने का मामले में पार्टी के प्रबंधकों पर गाज गिर सकती है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के 'मुंहबोले भाई' कलमाड़ी के सहयोगियों तहसीन पूनावाला और शहजाद पूनावाला को यहां तक पहुंचाने पर राहुल गांधी ने 'दैनिक जागरण' की खबर के बाद जवाब-तलब कर लिया है।

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अभियान चला रहे राहुल न सिर्फ इस प्रकरण से असहज हैं, बल्कि उन्होंने जानना चाहा है कि पूनावाला बंधुओं को यहां तक लाने में किसकी भूमिका थी? इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।

पूनावाला बंधुओं की अहमियत का पता इसी बात से चलता है कि पार्टी के प्रबंधकों को उत्तर प्रदेश के दिग्गजों से भी ज्यादा भरोसा उन पर था। प्रदेश में कांग्रेस के प्रबंधकों ने खुद ही पूनावाला बंधुओं को केंद्रीय मंत्रियों और कांग्रेस के दिग्गजों के समकक्ष खड़ा कर दिया। भ्रष्टाचार के प्रतीक बन चुके सुरेश कलमाड़ी के विश्वस्त पूनावाला बंधुओं को पार्टी के मीडिया पैनल का हिस्सा बनाया गया है।

राष्ट्रमंडल घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी का खुलकर बचाव करने वाले को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने जहां ठसक के साथ स्वीकार किया कि तहसीन पूनावाला को उन्होंने जिम्मेदारी सौंपी, वहीं लखनऊ में मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य डॉ. शकील अहमद ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि हम क्लर्को पर टिप्पणी नहीं करते।

हालांकि, तथ्य यह है कि क्लर्क बताए जा रहे पूनावाला बंधुओं को सलमान, श्रीप्रकाश, रीता बहुगुणा जोशी, प्रमोद तिवारी, पीएल पूनिया, जगदंबिका पाल जैसे दिग्गजों के साथ मीडिया पैनल में रखा गया था। खास बात है कि राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के नियमों को धता बताकर रखे गए सलाहकारों में शामिल रहे तहसीन पूनावाला की नियुक्ति की जांच सीबीआई कर रही है।

इस पूरे प्रकरण को दिल्ली में संसदीय कार्य राज्य मंत्री हरीश रावत ने ठंडा करने की कोशिश की। राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपियों को चुनाव प्रचार में लगाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'जिनकी जांच हो रही है, उन्हें बाहर रखा जा सकता है, लेकिन राष्ट्रमंडल से जुड़े सभी लोगों को अलग रखना कहां तक जायज है।' वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे तथ्यों की जानकारी नहीं है, लेकिन मैं नहीं समझता कि राष्ट्रमंडल खेलों में आपराधिक आरोपों से घिरे किसी व्यक्ति को चुनाव प्रचार में लगाया गया होगा।

हालांकि, कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, 'इतने अहम मिशन में किसी भी तरह के विवादास्पद लोगों को जिम्मेदारी देने से बचना चाहिए था। राहुल जी ने इस मसले पर जवाब तलब किया है और पूनावाला को यहां तक पहुंचाने के प्रकरण की तह तक पहुंचा जाएगा।'

कांग्रेस कार्यालय में भी 'कॉमनवेल्थ'

नई दिल्ली। यह शायद राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति से जुड़े सुरेश कलमाड़ी के करीबी तहसीन पूनावाला का ही प्रभाव था कि इस दफा लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित नेहरू भवन में इंतजाम भी कुछ-कुछ राष्ट्रमंडल की तर्ज पर ही हो रहे हैं। इसका पहला नमूना कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते समय नेहरू भवन में हुए इंतजामों के दौरान दिखाई पड़ा।

आमतौर से सादगीपूर्ण तरीके से होने वाली पत्रकार वार्ता को महकाने के लिए 50 हजार रुपये खर्च किए गए। प्रेसवार्ता के दौरान फूलों की सजावट के लिए इतने के सिर्फ फूल ही फूल आए। करीब 35 सालों से कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने 'दैनिक जागरण' की खबर के बाद इस तथ्य को सामने रखते हुए चुटकी ली कि 'भाई अब तो यूपी चुनाव को भी राष्ट्रमंडल बनने से कोई नहीं बचा सकता।'

भाजपा ने कांग्रेस से मांगी सफाई

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चुनावी अभियान में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हो रहे आरोप प्रत्यारोप के बीच भाजपा ने कांग्रेस के अंदर 'टीम कलमाड़ी' की मौजूदगी को लेकर घेरा बढ़ा दिया है। भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी से तो कांग्रेस ने प्रत्यक्ष दूरी बना रखी है लेकिन अंदर के तार जुड़े हैं। यही कारण है कि कलमाड़ी के लोग उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए अहम भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व से सफाई मांगते हुए उन्होंने दिग्विजय सिंह को आगाह किया कि राष्ट्रपति शासन का भय दिखाकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश न करें। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी उंची आवाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि पार्टी के अंदर ही ऐसे लोगों का जमावड़ा है।

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