जहरीली गैस से होगा उजाला

नोएडा (ललित विजय)। अब जल्द ही सीवरेज में बनने वाली जानलेवा जहरीली गैस अब अंधियारा मिटाने के काम आएगी। गैस जनसेट संयंत्र से इन गैसों से बिजली बनाई जाएगी। प्रारंभ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर ही इस बिजली का इस्तेमाल होगा। 2021 तक इसका शहर की स्ट्रीट लाइट को रोशन करने में इस्तेमाल किया जाएगा। प्राधिकरण ने इस योजना पर काम शुरू

By Edited By: Publish:Mon, 23 Jun 2014 11:52 AM (IST) Updated:Mon, 23 Jun 2014 11:52 AM (IST)
जहरीली गैस से होगा उजाला

नोएडा, [ललित विजय]। अब जल्द ही सीवरेज में बनने वाली जानलेवा जहरीली गैस अब अंधियारा मिटाने के काम आएगी। गैस जनसेट संयंत्र से इन गैसों से बिजली बनाई जाएगी।

प्रारंभ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर ही इस बिजली का इस्तेमाल होगा। 2021 तक इसका शहर की स्ट्रीट लाइट को रोशन करने में इस्तेमाल किया जाएगा। प्राधिकरण ने इस योजना पर काम शुरू कर दिया है। आइआइटी रूड़की को डिटेल रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद इस संयंत्र को सबसे पहले सेक्टर-54 के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर लगाया जाएगा। प्रारंभिक आंकलन के अनुसार इससे प्राधिकरण को एसटीपी के संचालन में करीब 43 लाख रुपये प्रतिवर्ष की लागत आएगी। एसटीपी पर प्रतिवर्ष 73 लाख रुपये की बिजली की खपत है।

एसटीपी पर किया जाएगा गैस को अलग

सीवरेज में बनने वाली मीथेन समेत अन्य गैस को एसटीपी पर अलग किया जाएगा। ड्रेनेज के मुख्य होल पर संयंत्र लगा गैस को बाहर निकाला जाएगा। फिर उसे जनसेट तक पहुंचाया जाएगा, जहां गैस आधारित टरबाइन लगाकर बिजली बनाने का काम होगा।

सेक्टर 54 में हो चुका है ट्रायल

परियोजना अभियंता समाकांत श्रीवास्तव ने बताया सेक्टर-54 के एसटीपी पर गैस से बिजली बनाने का सफल ट्रायल हो चुका है। आइआइटी रूड़की की टीम ने छोटे गैस जनसेट के जरिये बिजली उत्पादित किया। एक हफ्ते तक प्रयोग किया गया, जिसमें सफल होने पर ही प्राधिकरण ने गैस जनसेट से बिजली बनाने की हामी भरी।

कई मौत होने के बाद बनाई योजना

ड्रेनेज में मौजूद जहरीली गैस से शहर में कई सफाईकर्मियों की जान जा चुकी है। सेक्टर 11 में दो सफाईकर्मी पिछले साल ड्रेनेज साफ करने के दौरान मृत हो गए थे। कुछ महीने पहले सेक्टर 24 में सफाईकर्मी की ड्रेनेज साफ करने के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद प्राधिकरण ने ड्रेनेज से निकलने वाली जहरीली गैस का इस्तेमाल करने की योजना बनाई।

डीसीईओ प्राधिकरण के विजय यादव का कहना है प्राधिकरण ने आइआइटी रूड़की से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें लागत समेत संपूर्ण जानकारी होगी। प्रारंभिक स्तर पर ड्रेनेज से निकलने वाली गैस से बनने वाली बिजली का इस्तेमाल एसटीपी पर होगा। भविष्य में इसका अन्यत्र इस्तेमाल किया जाएगा।

मौजूद गैस

अस्सी प्रतिशत मीथेन, कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन डाई ऑक्साइड।

एसडीपी पर प्रतिवर्ष बिजली पर आने वाली लागत - 73 लाख रुपये

गैस जनसेट से होने वाली बचत - 43 लाख रुपये।

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