'मन की बात' में पीएम मोदी ने जल संरक्षण पर दिया जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'मन की बात' कार्यक्रम में सूखे की स्थिति पर चिंता जताई और लोगों से बारिश का पानी सहेजने की अपील की है।

By kishor joshiEdited By: Publish:Sun, 24 Apr 2016 10:28 AM (IST) Updated:Sun, 24 Apr 2016 08:21 PM (IST)
'मन की बात' में पीएम मोदी ने जल संरक्षण पर दिया जोर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लगातार दो साल बारिश कम होने से देश में सूखे की स्थिति पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से बारिश का पानी सहेजने की अपील की है। प्रधानमंत्री का कहना है कि पानी बचाने से न सिर्फ भूजल स्तर ऊपर आएगा, बल्कि पानी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। कृषि की उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस बार मानसून आने से पहले गांव-गांव में बारिश का जल सहेजने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि देश में सूखे की स्थिति है। इसलिए चिंता होना स्वाभाविक है। हालांकि, इस बार वर्षा सामान्य से अधिक होने की संभावना है। यह एक अवसर है और एक चुनौती भी है कि क्या हम गांव-गांव में पानी बचाने के लिए अभियान चला सकते हैं? क्यों न इस बार गांव के तालाबों से मिट्टी उठाकर खेतों में ले जाएं? इससे खेत की जल-संचय की ताकत भी बढ़ जाएगी।

जहां से पानी बहने के रास्ते हैं, उन्हें सीमेंट और खाद के खाली बोरों में पत्थर-मिट्टी भरकर बंद किया जा सकता है। कुछ दिन पानी रुकेगा तो जमीन में जाएगा। इससे भूजल का स्तर ऊपर आएगा। उन्होंने कहा कि हम संकल्प लें कि वर्षा का पानी गांव में रहेगा, तो आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने लातूर में पानी पहुंचाने के लिए रेलवे की सराहना भी की। भारतीय रेल जलदूत नाम से एक ट्रेन भेजकर लातूर को पानी की आपूर्ति कर रहा है।

जल संरक्षण के दिए उदाहरण

-महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की हिवरे बाजार ग्राम पंचायत के लोगों ने जल संरक्षण के लिए गन्ना और केला जैसी फसलों की खेती बंद कर दी। इसके बदले फल और सब्जियां बोना शुरू किया। ड्रिप सिंचाई और जल संचय पर जोर दिया।

-मध्य प्रदेश के देवास जिले की गोरवा ग्राम पंचायत में 27 तालाब बनाए गए। इससे भूजल स्तर ऊपर आया। इससे जल उपलब्धता के साथ ही कृषि उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई।

-महात्मा गांधी के जन्म-स्थान पोरबंदर में वर्षा के पानी को बचाने के लिए घर के नीचे सौ-दो सौ साल पुराने टैंक बने हुए हैं। हम देख सकते हैं कि वह पानी कितना शुद्ध रहता था।

इन मुद्दों पर भी बोले

गंगा सफाई : सरकार गंगा सफाई के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। गंगा के लिए आज करोड़ों भगीरथों की जरूरत है। हम सभी को सफाई के लिए चेंज एजेंट बनना होगा।

शिक्षा : अब इसकी गुणवत्ता बढ़ाने का समय है। अब अच्छी और योग्य शिक्षा पर ध्यान देना होगा। स्कूलिंग से ज्यादा लर्निंग पर ध्यान देना होगा।

गैस सब्सिडी : मुझे गर्व है कि एक करोड़ परिवारों ने रसोई गैस सब्सिडी छोड़ दी है। 80 फीसद लोगों ने वितरक के यहां कागज देकर सब्सिडी छोड़ी है।

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