किसानों को अब 50 नहीं, 33 फीसदी तबाही पर मुआवजा

बेमौसम और ओलावृष्टि से तबाह किसानों को केंद्र सरकार ने भारी राहत की घोषणा की है। फसलों के नुकसान के मुआवजे की दर डेढ़ गुना कर दी गई है। जबकि उन किसानों को भी आपदा की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, जिनकी फसल 33 फीसद खराब हुई है।

By anand rajEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2015 11:02 AM (IST) Updated:Thu, 09 Apr 2015 07:41 AM (IST)
किसानों को अब 50 नहीं, 33 फीसदी तबाही पर मुआवजा

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बेमौसम और ओलावृष्टि से तबाह किसानों को केंद्र सरकार ने भारी राहत की घोषणा की है। फसलों के नुकसान के मुआवजे की दर डेढ़ गुना कर दी गई है। जबकि उन किसानों को भी आपदा की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है, जिनकी फसल 33 फीसद खराब हुई है। नुकसान की यह सीमा पहले 50 फीसद थी। सरकार ने आपदा मानकों को संशोधित करते हुए उसमें बरसात से होने वाली क्षति को भी शामिल कर लिया है।

पीडि़त किसानों को राहत की यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आयोजित एक समारोह में की। मोदी ने कहा कि सरकार ने बीमा कंपनियों को आदेश दिया है कि वे किसानों के नुकसान का ध्यान रखें। साथ ही बैंकों को कृषि कर्ज की अदायगी की सीमा भी नए सिरे से तय करने का आदेश दिया गया है।
सरकार की इस घोषणा से प्रभावित किसानों ने राहत की सांस ली है।

राष्ट्रीय आपदा राहत निधि (एनडीआरएफ) के मानकों में यह संशोधन केंद्रीय मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर किया गया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित इस समिति में वित्त मंत्री अरुण जेटली और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह शामिल थे।

एनडीआरएफ के मानकों में संशोधन के बाद असिंचित खेती के चौपट होने पर 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की जगह मुआवजे की राशि बढ़कर 6,750 रुपये हो जाएगी। इसी तरह सिंचित फसलों के नुकसान का मुआवजा 9,000 रुपये से बढ़ाकर 13,500 रुपये किया गया है। बागवानी फसलों के मुआवजे की दर 12,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है।

तबाह किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए केंद्र ने प्रभावित प्रदेशों की सरकारों से राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) का उपयोग करने की बात दोहराई है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि प्रभावित सभी राज्यों के एसडीआरएफ में पर्याप्त धन उपलब्ध है। ओलावृष्टि से नुकसान के बारे में राज्यों से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक कुल 85 लाख हेक्टेयर खेती प्रभावित हुई है। इसमें गेहूं के नुकसान का रकबा घटकर 38.67 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछले सप्ताह कुल नुकसान का आंकड़ा 1.13 करोड़ हेक्टेयर बताया जा रहा था।

राजस्थान ने पहले 45.53 लाख हेक्टेयर खेती के तहस नहस होने का आंकड़ा भेजा था, जिसे सुधार कर अब 24.65 लाख हेक्टेयर कर दिया है। हालांकि महाराष्ट्र में नुकसान का आंकड़ा साढ़े तीन लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.89 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। कृषि मंत्री के मुताबिक इन आंकड़ों में अभी और संशोधन हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश में नुकसान का जायजा लेने केंद्रीय दल वहां पहुंच चुका है, जबकि राजस्थान में गुरुवार को पहुंचेगा। हरियाणा ने भी अपने यहां नुकसान का ब्योरा भेज दिया है, जिसके आधार पर केंद्रीय टीम जल्दी ही वहां जाएगी।

आरबीआइ ने दिए कृषि कर्ज पुनर्गठन के निर्देश

नई दिल्ली। परेशान किसानों के लिए सरकार के अलावा रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी राहत का इंतजाम किया है। आरबीआइ ने बैंकों को निर्देश दिया है कि जिन किसानों की फसलें बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से बर्बाद हुई हैं, उनके कर्ज का पुनर्गठन करें। यह जानकारी खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने दी है। एक दिन पहले घोषित मौद्रिक नीति में भी केंद्रीय बैंक ने कहा था कि इस प्राकृतिक आपदा से करीब 17 फीसद क्षेत्र की रबी फसल खराब हुई है।

भू-अधिग्रहण पर घिरी भाजपा को 'मुआवजा राशि' से राहत

नई दिल्ली [जाब्यू]। भूमि अधिग्रहण के मसले पर घिरी सरकार और भाजपा को किसानों के लिए बढ़े हुए मुआवजे ने ऑक्सीजन दे दी है। इसी के सहारे अब यह संदेश देने की कोशिश होगी कि किसानों की असली हमदर्द भाजपा है। मुआवजे की ओट में भूमि अधिग्रहण पर भी किसानों को समझाने की कोशिश होगी और जमीन पर पकड़ मजबूत करने की कवायद भी।

भूमि अधिग्रहण विधेयक सरकार के लिए फांस बन गया है। विकास के लिए इसे पारित कराना मजबूरी है लेकिन किसान विरोधी छवि राजनीतिक रूप से घातक है। ऐसे में बर्बाद फसल के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाकर और मानक बदलकर सरकार और भाजपा अपनी छवि भी दुरुस्त कर लेना चाहती है।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, 'भाजपा शुरू से किसानों की हमदर्द रही है। किसानों को अब न सिर्फ डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाएगा बल्कि उन किसानों को भी लाभ मिलेगा जिनकी सिर्फ 33 फीसद फसल बर्बाद हुई है। किसी अन्य सरकार ने ऐसा क्यों नहीं सोचा था। भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर भी इसी तरह सरकार किसानों के लाभ के लिए ही काम कर ही है।'

गौरतलब है कि ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा बर्बादी उत्तर प्रदेश में हुई थी। कांग्र्रेस शासित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ बिहार के कुछ हिस्सों में भी इसका असर हुआ था। बिहार वह राज्य है जहां इसी साल चुनाव होने हैैं। जबकि अन्य राज्यों में भी दो से तीन वर्षों में चुनाव है। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव है। वहां भूमि अधिग्रहण को लेकर खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मैदान में उतर आई हैैं। मुआवजे का थोड़ा लाभ उस राज्य में भी किसानों को मिलने वाला है। जाहिर है कि मुआवजा राशि के सहारे ही भूमि अधिग्रहण पर भी किसानों को जोडऩे की कोशिश होगी।

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