मौखिक तलाक के खिलाफ हैं 92 फीसद महिलाएं: सर्वे

देश में बड़ी तादात में मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि तीन बार तलाक बोलने से रिश्ता खत्म होने का नियम एकतरफा है। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। अपनी तरह के पहले अध्ययन में सामने आए नतीजों के मुताबिक देश में करीब 92.1 फीसद महिलाओं ने कहा कि इस परंपरा

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 21 Aug 2015 10:28 AM (IST) Updated:Fri, 21 Aug 2015 11:12 AM (IST)
मौखिक तलाक के खिलाफ हैं 92 फीसद महिलाएं: सर्वे

नई दिल्ली। देश में बड़ी तादात में मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि तीन बार तलाक बोलने से रिश्ता खत्म होने का नियम एकतरफा है। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। अपनी तरह के पहले अध्ययन में सामने आए नतीजों के मुताबिक देश में करीब 92.1 फीसद महिलाओं ने कहा कि इस परंपरा को खत्म किया जाना चाहिए।

यही नहीं, मुस्लिम समुदाय में स्काइपी, ईमेल, मेसेज और वाट्सऐप के जरिये दिए जाने वाले तलाक ने इन चिंताओं को और भी बढ़ाने का काम किया है। देश के 10 राज्यों में मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार के लिए काम करने वाले भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम के एनजीओ की ओर से किए गए सर्वे में 4,710 महिलाओं से बात की गई।

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सर्वे के मुताबिक देश की अधिकतर मुस्लिम महिलाएं आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी पिछड़ी हैं। करीब आधी से अधिक मुस्लिम महिलाओं की 18 साल से पहले ही शादी हो गई। इन महिलाओं को घरेलू हिंसा का भी सामना करना पड़ा। सर्वे में शामिल 91.7 फीसद महिलाओं ने कहा कि वह अपने पतियों के दूसरी शादी करने के खिलाफ हैं।

अध्ययन में शामिल में 73 फीसद महिलाओं ऐसी थीं, जिनके परिवार की सालाना आय 50 हजार रुपए से कम है, जबकि 55 फीसद की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही हो गई थी। सर्वे में संपत्ति के मामले में भी मुस्लिम महिलाओं का पिछड़ापन उजागर हुआ, आंकड़ों के मुताबिक 82 फीसद महिलाओं के नाम कोई संपत्ति नहीं है।

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अधिकतर महिलाओं की शिक्षा भी न के समान थी। अध्ययन करने वाली जाकिया सोमन ने बताया कि साल 2014 में महिला शरिया अदालत में 235 केस आए थे, जिनमें से 80 फीसद केस मौखिक तलाक के थे।

सर्वे में शामिल 93 फीसद महिलाओं ने माना कि तलाक से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, जबकि 83 फीसद ने माना कि मुस्लिम फैमिली लॉ को वर्गीकृत करने से न्याय मिल सकेगा।

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