महाराष्ट्र में पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित करने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की अवहेलना पर मांगा जवाब

महाराष्ट्र में एक पंचायत समिति के अध्यक्ष का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित करके उस पर चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह हमारी ओर से सुनाए गए फैसले की अवहेलना है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 13 Dec 2021 09:42 PM (IST) Updated:Mon, 13 Dec 2021 10:03 PM (IST)
महाराष्ट्र में पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित करने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की अवहेलना पर मांगा जवाब
ओबीसी के लिए आरक्षित करके उस पर चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा संज्ञान लिया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। महाराष्ट्र में एक पंचायत समिति के अध्यक्ष का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित करके उस पर चुनाव प्रक्रिया शुरू करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से इस साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले की अवहेलना है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, 'अब हमें हस्तक्षेप करना पड़ेगा।

यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना करने की कोशिश है।' पीठ ने संबंधित कलेक्टर को नोटिस जारी किया और पूछा कि शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ के स्पष्ट फैसले के बावजूद पंचायत समिति में रिक्त पद को भरने के लिए उसे ओबीसी के लिए आरक्षित करके चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए उनके खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू क्यों नहीं की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो उसने पंचायत समिति के अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित करने के संबंधित प्राधिकारी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया था।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि पूर्व में उसके समक्ष आए एक अलग मामले में तीन सदस्यीय पीठ ने इस साल मार्च में फैसला सुनाया था जिसमें अदालत ने कहा था कि ओबीसी श्रेणी के लिए ऐसे आरक्षण का प्रविधान करने से पहले ट्रिपल टेस्ट का पालन किया जाना चाहिए। पीठ ने याचिका पर महाराष्ट्र समेत सभी प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किए और सुनवाई पांच जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

पीठ ने कहा कि पंचायत समिति का वर्तमान अध्यक्ष ग्राम पंचायत से जुड़े नीतिगत फैसले में शामिल नहीं होगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत के पूर्व फैसले का जिक्र किया और कहा कि अध्यक्ष का पद ओबीसी श्रेणी के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता। इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी अगर ऐसी चीजें हो रही हैं तो उसे अवमानना नोटिस जारी करना पड़ेगा।

दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने छह दिसंबर को महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों के चुनाव पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया था कि बाकी सीटों पर चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी।

chat bot
आपका साथी