जलीकट्टू विवाद: पीएम ने अध्यादेश की उम्मीद पर पानी फेरा

मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात कर अध्यादेश लाने का आग्रह किया।

By Manish NegiEdited By: Publish:Thu, 19 Jan 2017 10:40 PM (IST) Updated:Thu, 19 Jan 2017 10:46 PM (IST)
जलीकट्टू विवाद: पीएम ने अध्यादेश की उम्मीद पर पानी फेरा
जलीकट्टू विवाद: पीएम ने अध्यादेश की उम्मीद पर पानी फेरा

नई दिल्ली, आइएएनएस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल्लीकट्टू आयोजित कराने के लिए अध्यादेश लाने की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम की मांग पर मौन साध लिया। ऐसे तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के खिलाफ चल रहा आंदोलन और तेज हो सकता है।

मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात कर अध्यादेश लाने का आग्रह किया। इस पर प्रधानमंत्री ने इस मामले में राज्य सरकार के कदम का समर्थन करने का आश्वासन दिया। मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण उन्होंने राज्य सरकार की मुख्य मांग से किनारा कर लिया।

पीएमओ ने बताया, 'बातचीत के दौरान जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध को लेकर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने जल्लीकट्टू के सांस्कृतिक महत्व की प्रशंसा की और कहा कि मामला अभी कोर्ट के विचाराधीन है।' प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पन्नीरसेल्वम ने कहा कि जल्लीकट्टू आयोजित कराने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार जल्द ही जरूरी कदम उठाएगी। हालांकि प्रधानमंत्री के जवाब से तमिलनाडु के राजनेता संतुष्ट नहीं हैं।

पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने कहा कि उनकी पार्टी गणतंत्र दिवस पर जल्लीकट्टू कराएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कोर्ट में मामला होने का हवाला देकर अध्यादेश लाने से पल्ला नहीं झाड़ सकते। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि राज्य में हालात असामान्य हैं। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री से सर्वदलीय बैठक और शुक्रवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।

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आनंद समर्थन में आए

पांच बार शतरंज के विश्व चैंपियन रहे विश्वनाथन आनंद ने जल्लीकट्टू का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जल्लीकट्टू सांस्कृतिक प्रतीक है। इसका आदर हो। मैं पशु अधिकार का समर्थन करता हूं लेकिन यहां यह मामला नहीं है। यह परंपरा और जीवकोपार्जन का मामला है।'

आज हड़ताल

तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के विरोध में आंदोलन तेज होता जा रहा है। राजधानी चेन्नई के मरीना तट पर करीब एक लाख युवा जल्लीकट्टू के समर्थन में इकट्ठा हुए हैं। ट्रांसपोर्टर, खुदरा विक्रेता, निजी टैक्सी ऑपरेटर, स्कूल का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने शुक्रवार को हड़ताल का एलान किया है। राज्य के सरकारी कर्मचारियों ने जुलूस निकालने का फैसला किया है। फिल्मों की शूटिंग और सिनेमा हॉल भी शुक्रवार को बंद रहेंगे।

प्रदर्शन को लेकर याचिका पर सुनवाई से इन्कार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जल्लीकट्टू के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन के मामले से खुद को दूर रखा। शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई से इन्कार कर दिया और याचिकाकर्ता को इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के पास जाने को कहा। मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, 'आप सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों चले आते हैं।' वकील एन. राजारमण ने अपनी याचिका में चेन्नई के मरीना तट पर बड़ी संख्या में इक्ट्ठा प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि प्रदर्शनकारियों के साथ 2011 के दिल्ली रामलीला मैदान की घटना जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। इसमें बाबा रामदेव के समर्थकों पर पुलिस ने लाठी बरसाये थे।

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