अब भारत में होगा प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस का इलाज, जानिए क्‍यों दी गई मंजूरी

अब देश में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के मरीजों के इलाज का रास्ता साफ हो गया है। केरल सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आइसीएमआर ने इसकी अनुमति दे दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 10 Apr 2020 08:38 PM (IST) Updated:Sat, 11 Apr 2020 01:07 AM (IST)
अब भारत में होगा प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस का इलाज, जानिए क्‍यों दी गई मंजूरी
अब भारत में होगा प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस का इलाज, जानिए क्‍यों दी गई मंजूरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब देश में प्लाज्मा थेरेपी थेरेपी से कोरोना के मरीजों के इलाज का रास्ता साफ हो गया है। केरल सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आइसीएमआर ने इसकी अनुमति दे दी है। माना जा रहा है कि ड्रग कंट्रोलकर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) कभी भी इसे हरी झंडी दे सकता है। फिलहाल इस थेरेपी का इस्तेमाल केवल गंभीर रूप से बीमार और वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों के लिए ही किया जाएगा।

गंभीर रूप से बीमार मरीजों के उपचार के लिए प्लाजा थेरेपी

आइसीएमआर के वैज्ञानिक डाक्टर मनोज मुरहेकर के अनुसार दुनिया के कई देशों में कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को कारगर पाया गया है। लेकिन भारत में अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। उनके अनुसार केरल सरकार के अनुरोध पर आइसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की अनुमति दे दी है और डीसीजीआइ से इसकी अनुमति मांगी गई है।

आइसीएमआर देश में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के इलाज के लिए विस्तृत गाइडलाइंस को अंतिम रूप देने में जुटा है। वैसे डाक्टर मनोज मुरहेकर ने साफ कर दिया कि प्लाजा थेरेपी का इस्तेमाल सिर्फ क्लीनिक ट्रायल के लिए किया जाएगा। ट्रायल में मिले नतीजों के अध्ययन के बाद ही इसके कोरोना के सामान्य मरीजों के इलाज के लिए अनुमति दी जाएगी। 

क्या है प्लाज्मा थेरेपी 

प्लाज्मा थेरेपी खून की प्लाज्मा में पाए जाने वाले एंटीबॉडी के आधार पर शरीर में किसी वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की प्रक्रिया है। दरअसल, किसी भी वायरस के प्रवेश करने के बाद शरीर खुद उससे लड़ने लगता है और उस वायरस को खत्म करने के लिए एंटीबॉडी बनाता है। जैसे ही एंटीबॉडी वायरस के खत्म करने में सफल होता है, मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।

जाहिर है कोरोना वायरस की चपेट में आकर ठीक हुए हजारों लोगों के शरीर में यह एंटीबॉडी मौजूद है। यदि कोरोना वायरस से ग्रसित मरीज में किसी तरह यह एंटीबॉडी पहुंचा दिया जाए, तो वह व्यक्ति स्वत: ही कोरोना से ठीक हो सकता है। इस थेरेपी के तहत कोरोना से ठीक हुए मरीज के खून से प्लाज्मा अलग किया जाता है और फिर उस प्लाज्मा को पीड़ि‍त मरीज के शरीर में पहुंचाया जाता है। प्लाज्मा के साथ एंटीबॉडी के शरीर में पहुंचने के बाद मरीज ठीक होने लगता है। 

सामान्‍य इलाज से ठीक हो जाते हैं 80 फीसदी कोरेाना के मरीज 

दरअसल, वैक्सीन भी इसी तरह शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का काम करता है, लेकिन कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्‍सीन नहीं होने के कारण इसके प्रकोप को रोकना मुश्किल हो रहा है। लेकिन कोरोना का दूसरा पहलू यह भी है कि 80 फीसदी कोरोना के मरीज सामान्य इलाज से खुद ही ठीक हो जाते हैं। यानी उनके शरीर में अपने-आप एंटीबॉडी बन जाता है। जाहिर है ऐसे ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा में मौजूद कोरोना के वायरस का एंटीबॉडी गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है। 

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